चोल राजवंश | Chola Dynasty | 9 वी शतब्दी में चोल वंश पल्लव वंश के ध्वंसावशेष पर स्थापित हुआ था. इस वंश के संथापक विजयालय थे
चोल राजवंश क्या है | Chola Dynasty
9 वी शतब्दी में चोल वंश पल्लव वंश के ध्वंसावशेष पर स्थापित हुआ था. इस वंश के संथापक विजयालय थे. चोल वंश की राजधानी तांजाय थी [तंजौर, तंजावूर] . तंजावूर का वास्तुकार कुंजरमल्लन राजराज पेरूथच्चन था.
विजयालय ने नरकेसरी की उपाधि धारण की थी और निशुम्भसूदनी देवी का मंदिर बनवाया था. पल्लवों पर विजय पाने के उपरांत आदित्य प्रथम ने कोदंडराम की उपाधि धारण की थी.
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तक्कोलम युद्ध में राष्ट्रकूट नरेश कृष्ण 3 ने परातंक को पराजित किया था. इस युद्ध में परातंक का बड़ा लड़का राजादित्य मारा गया था.
राजराज प्रथम ने श्रीलंका पर आक्रमण | वहां के राजा महिम 5 को भागकर श्रीलंका के दक्षिण जिला रोहण में शरण लेनी पड़ी थी. राजराज प्रथम श्रीलंका के विजित प्रदेशों में चोल साम्राज्य का एक नया प्रान्त मुम्ड़िचोलमंडल बनाया था. राजराज 1 शैव धर्म का अनुनायी था. इसने तंजौर में राजराजेश्वर का शिव मंदिर बनाया था.
चोल साम्राज्य का सर्वाधिक विस्तार राजेंद्र प्रथम के शासनकाल में हुआ था. बंगाल के पाल शासक महिपाल को पराजित करने के बाद राजेंद्र प्रथम ने गंगैकोंडचोल की उपाधि धारण की व नवीन राजधानी गंगैकोंड चोलपुरम के निकट चोलगंगम नामक विशाल तालाब का निर्माण करवाया था. गजनी का सुल्तान महमूद राजेंद्र प्रथम का समकालीन था.
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चोल साम्राज्य में भूमि के प्रकार
- वेल्लनवगाई : गैर ब्राह्मण किसान स्वामी की भूमि
- ब्रह्मदेय : ब्राह्मणों को उपहार में दी गई भूमि
- शालाभोग : किसी विद्यालय के रख-रखाव की भूमि
- देवदान : मंदिर को उपहार में दी गई भूमि
- पाल्लिच्चंदम : जैन संस्थानों को दी गई भूमि
राजेंद्र 2 ने प्रकेसरी की एवं वीरराजेन्द्र ने राजकेसरी की उपाधि धारण की थी. चोल वंश का अंतिम राजा राजेंद्र 3 था. चोलों व पश्चिमी चालुक्यों के बीच शांति सत्यापित करने में गोवा के कदम्ब शासक जयकेस प्रथम ने मध्यस्थ की भूमिका निभाई थी.
विक्रम चोल अकाल व आभाव से ग्रस्त गरीब जनता से राजस्व वसूल कर चिदंबरम विस्तार करवा रहा था. कलोतुंग 2 ने चिदंबरम मंदिर में स्थित गोविन्दराज विष्णु की मूर्ति को समुद्र में फेकवा दिया था. कालांतर में वैष्णव आचार्य रामानुजाचार्य ने उक्त मूर्ति का पुनरुद्धार किया व उसे तिरुपति के मंदिर में प्राण प्रतिष्ठित किया था.
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चोल राजवंश क्या है FAQ
Ans चोल वंश की स्थापना 9 वी शताब्दी में हुई थी.
Ans चोल वंश की स्थापना विजयालय ने की थी.
Ans चोल वंश की राजधानी तांजाय [तंजौर, तंजावूर] थी.
Ans तंजावूर का वास्तुकार कुंजरमल्लन राजराज पेरूथच्चन था.
Ans विजयालय ने नरकेसरी की उपाधि धारण की थी.
Ans विजयालय निशुम्भसूदनी देवी का मंदिर बनवाया था.
Ans पल्लवों पर विजय पाने के उपरांत आदित्य प्रथम ने कोदंडराम की उपाधि धारण की थी.
Ans राजराज 1 शैव धर्म का अनुनायी था.
Ans तंजौर में राजराजेश्वर का शिव मंदिर राजराज 1 बनाया था.
Ans चोल साम्राज्य का सर्वाधिक विस्तार राजेंद्र प्रथम के शासनकाल में हुआ था.
Ans बंगाल के पाल शासक महिपाल को पराजित करने के बाद राजेंद्र प्रथम ने गंगैकोंडचोल की उपाधि धारण की थी.
Ans गजनी का सुल्तान महमूद राजेंद्र प्रथम का समकालीन था.
Ans राजेंद्र 2 ने प्रकेसरी की उपाधि धारण की थी.
Ans वीरराजेन्द्र ने राजकेसरी की उपाधि धारण की थी.
Ans चोल वंश का अंतिम राजा राजेंद्र 3 था.
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