मध्यकालीन स्त्रियों की दशा | राजस्थान की स्त्रियों ने भी देश के इतिहास में प्रशंसनीय कार्य किए। वराहामित्र के अनुसार राजस्थान की स्त्रियों को जन्म से लेकर मृत्यु तक पुरुषों पर आश्रित रहना पड़ता था
मध्यकालीन स्त्रियों की दशा
राजस्थान की स्त्रियों ने भी देश के इतिहास में प्रशंसनीय कार्य किए। वराहामित्र के अनुसार राजस्थान की स्त्रियों को जन्म से लेकर मृत्यु तक पुरुषों पर आश्रित रहना पड़ता था। परन्तु फिर भी स्त्रियों ने जौहर और सती का जो शौर्य समय-समय पर दिखाया उससे विदेशी विद्वान् भी इतने अधिक प्रभावित हुए कि उन्होंने राजपूत-स्त्रियों को ऐतिहासिक गाथाओं की आत्मा बना दिया। उनकी गौरव-गाथाएँ चारणों और भाटों द्वारा सदा गाई जाती रही हैं।
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‘हमीर महाकाव्य’ के अनुसार राजस्थान की स्त्रियाँ कानों में कुण्डल और ललाट पर कस्तूरी-तिलक, नाक में काँटा, गले में नेकलेस, पाँवों में चम्पक (पायल), करधनी पर चाँद की तगड़ी आदि पहनती थी। इस वेशभूषा ने, जिसका आधार स्तम्भ घघरी, चोली और ओढ़नी था, राजस्थान की नारियों को साहित्य में काल्पनिक सौन्दर्य का प्रतीक बना दिया है।
मुसलमानों के सम्पर्क के साथ-साथ इस प्रदेश की स्त्रियों ने कुछ नए ढंग के आभूषण पहनना भी प्रारंभ कर दिया। हरिभद्र और न्यायचन्द्र सूरी की कृतियों में उन आभूषणों का वर्णन मिल जाता है। अंगूठी, नेकलेस, कुण्डल यहां के पुरुषों की वेशभूषा में भी सम्मिलित थे।
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मध्यकालीन स्त्रियों की दशा FAQ
Ans – वराहामित्र के अनुसार राजस्थान की स्त्रियों को जन्म से लेकर मृत्यु तक पुरुषों पर आश्रित रहना पड़ता था.
Ans – ‘हमीर महाकाव्य’ के अनुसार राजस्थान की स्त्रियाँ कानों में कुण्डल और ललाट पर कस्तूरी-तिलक, नाक में काँटा, गले में नेकलेस, पाँवों में चम्पक (पायल), करधनी पर चाँद की तगड़ी आदि पहनती थी.
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