अजमेर सूबे का निर्माण | अकबर ने जब अपने विस्तृत साम्राज्य के विभिन्न सूबों का नये ढंग से संगठन किया तब राजस्थान का कोई प्रान्तीय नाम नहीं था
अजमेर सूबे का निर्माण
अकबर ने जब अपने विस्तृत साम्राज्य के विभिन्न सूबों का नये ढंग से संगठन किया तब इस प्रदेश का राजस्थान का कोई प्रान्तीय नाम नहीं था जैसे मालवा, गुजरात आदि। अतः यह प्रान्त अपनी राजधानी के नाम से ‘अजमेर सूबा’ कहलाया। यहाँ का गवर्नर मुगल सम्राट द्वारा नियुक्त किया जाता था तथा वह उसी के प्रति उत्तरदायी होता था। राजपूताना के सभी राजपूत शासक अजमेर सूबेदार के अधीन रहते थे। कुछ रियासतों को गुजरात सूबे के अन्तर्गत रखा गया।
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अकबर ने प्रान्तों (सूबों को सरकारों) को जिलों में बांटा था। उसने अजमेर सूबे को अजमेर, चित्तौड़, रणथम्भौर, जोधपुर, नागौर, बीकानेर और सिरोही नामक सरकारों में बांटा था। औरंगजेब ने जैसलमेर को अलग सरकार बनाया। सरकारों को परगनों (तहसीलों) में बांटा गया था। मुगलों ने राजस्थान को 197 परगनों में विभक्त किया था।
मुगलों ने भूमि नाम एवं भू-राजस्व लगभग उसी प्रकार किया जिस प्रकार अपनी खालसा भूमि में किया। यहाँ नकद एवं उपज के रूप में राजस्व वसूला जाता था। उपज वसूली में लाटा, कूता आदि का प्रचलन दिखाई देता है। कर वसूली में जकात एवं राहदारी भी दिखाई देता है। सभी प्रकार का टैक्स अजमेर सूबे में जमा होता था।
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अजमेर सूबे का निर्माण FAQ
Ans – राजपूताना के सभी राजपूत शासक अजमेर सूबेदार के अधीन रहते थे.
Ans – अकबर ने अजमेर सूबे को अजमेर, चित्तौड़, रणथम्भौर, जोधपुर, नागौर, बीकानेर और सिरोही नामक सरकारों में बांटा था.
Ans – मुगलों ने राजस्थान को 197 परगनों में विभक्त किया था.
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