गुप्त साम्राज्य की शासन व्यवस्था | Governance of the Gupta Empire| गुप्त साम्राज्य की सबसे बड़ी प्रादेशिक इकाई देश थी, जिसके शासक को गोप्ना कहा जाता था
गुप्त साम्राज्य की शासन व्यवस्था | Governance of Gupta Empire
गुप्त साम्राज्य की सबसे बड़ी प्रादेशिक इकाई देश थी, जिसके शासक को गोप्ना कहा जाता था. एक दूसरी प्रादेशिक इकाई भुक्ति थी, जिसके शासक को उपरिक कहा जाता था. भुक्ति के नीचे विषय नामक एक इकाई होती थी, जिसके प्रमुख विषयपति कहलाते थे.
पुलिस विभाग के साधारण कर्मचारियों को चाट एवं भाट कहा जाता था. पुलिस विभाग का मुख्य अधिकारी दंडपाशिक कहलाता था. प्रशासन की सबसे छोटी इकाई ग्राम थी. ग्राम का प्रशासन ग्राम सभा द्वारा संचालित होता था. ग्राम सभा का मुख्या ग्रामीक कहलाता था तथा अन्य सदस्य महत्तर कहे जाते थे. ग्राम समूहों की सबसे छोटी इकाई को पेठ कहा जाता था. गुप्त शसक कुमारगुप्त के दामोदरपुर ताम्रपत्र में भूमि बिक्री संबंधी अधिकारीयों के क्रियाकलापों का उल्लेख है.
भू-राजस्व कुल उत्पादन का 1/4 से 1/6 का भाग होता था. गुप्त काल में बलात श्रम राज्य के लिए आय का एक स्त्रोत माना जाता था. इसे जनता द्वारा दिया जाने वाला कर भी माना जाता था.
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आर्थिक उपयोगिता के आधार पर भूमि निम्न प्रकार की होती थी :-
- क्षेत्र :- कृषि करने योग्य भूमि.
- वास्तु :- वास करने योग्य भूमि.
- चारागाह भूमि :- पशुओं के चारा योग्य भूमि.
- सिल :- ईएसआई भूमि जो जोतने योग्य नहीं होती थी.
- अप्रहत :- ऐसी भूमि जो जंगली होती थी.
सिंचाई के लिए गुप्त काल में रहट या घंटी यंत्र का प्रयोग होता था. श्रेणी के प्रधान को ज्येष्ठक कहा जाता था. गुप्त काल में उज्जैन सर्वाधिक महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र था.
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गुप्त कालीन प्रसिद्ध मंदिर
- विष्णु मंदिर- तिगवा [जबलपुर mp]
- शिव मंदिर- भूमरा [नागौदा mp]
- पार्वती मंदिर- नयना कुठार [mp]
- दशावतार मंदिर- देवगढ़, [ललितपुर up]
- शिव मन्दिर- खोह [नागौद mp]
- भीतर गाँव मंदिर लक्ष्मण मंदिर- भीतर गाँव कानपुर [up]
गुप्त राजाओं ने सर्वाधिक स्वर्ण मुद्राएँ जारी की थी. इनकी स्वर्ण मुद्राओं को अभिलेख में दीनार कहा गया है. कायस्थों का सर्वप्रथम वर्णन याज्ञवल्काय स्मृति में मिलता है. जाति के रूप में कायस्थों सर्वप्रथम वर्णन ओशनम स्मृति में मिलता है.
विंध्य जंगल में शबर जाति के लोग अपने देवताओं को मनुष्य का मांस चढाते थे. पहली बार किसी के सती होने का प्रमाण 510 ई. के भानुगुप्त के एरण अभिलेख से मिलता है, जिसमें किसी भोजराज की मृत्यु पर उसकी पत्नी का सटी होने का वर्णन है.
गुप्तकाल में वेश्यावृति करने वाली महिलाओं को गणिका कहा जाता था. वृद्ध वेश्याओं को कुट्टनी कहा जाता था. गुप्त सम्राट वैष्णव धर्म के अनुनायी थे तथा उन्होंने इसे राजधर्म बनाया था. विष्णु का वाहन गरुड़ गुप्त शासकों का राजचिन्ह था. गुप्त काल में वैष्णव धर्म संबंधी महत्वपूर्ण अवशेष देवगढ़ का दशावतार मंदिर है. यह बेतवा नदी के तट पर स्थित है. संस्कृत गुप्त राजाओं की राजकीय भाषा थी.
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गुप्त साम्राज्य की शासन व्यवस्था
Ans गुप्त साम्राज्य की सबसे बड़ी प्रादेशिक इकाई देश थी.
Ans जिसके शासक को गोप्ना कहा जाता था.
Ans एक दूसरी प्रादेशिक इकाई भुक्ति थी.
Ans भुक्ति के शासक को उपरिक कहा जाता था.
Ans भुक्ति के नीचे विषय नामक एक इकाई होती थी.
Ans विषय के प्रमुख विषयपति कहलाते थे.
Ans पुलिस विभाग के साधारण कर्मचारियों को चाट एवं भाट कहा जाता था.
Ans पुलिस विभाग का मुख्य अधिकारी दंडपाशिक कहलाता था.
Ans प्रशासन की सबसे छोटी इकाई ग्राम थी
Ans ग्राम का प्रशासन ग्राम सभा द्वारा संचालित होता था.
Ans ग्राम सभा का मुख्या ग्रामीक कहलाता था.
Ans ग्राम समूहों की सबसे छोटी इकाई को पेठ कहा जाता था.
Ans गुप्त काल भू-राजस्व, कुल उत्पादन का 1\4 से 1\6 भाग वसूला जाता था.
Ans गुप्त काल में सिंचाई के साधन रहट या घंटी यंत्र थे.
Ans श्रेणी के प्रधान को गुप काल में ज्येष्ठक कहा जाता था
Ans वृद्ध वेश्याओं को गुप्त काल में कुट्टनी कहा जाता था.
Ans गुप्त सम्राट वैष्णव धर्म के अनुनायी थे.
Ans गुप्त साम्राज्य का राजधर्म वैष्णव था.
Ans विष्णु का वाहन गरुड़ गुप्त शासकों का राजचिन्ह था.
Ans दशावतार मंदिर बेतवा नदी के तट पर स्थित है.
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