असम का इतिहास | history of Assam | असम का इतिहास ऑस्ट्रो एशियाई, तिब्बता-बर्मी तथा भारतीय आर्य संस्कृति के एक अच्छे मिश्रण की कहानी है
असम का इतिहास | history of Assam
प्राचीन असम
इस प्रदेश को प्राचीन भारतीय ग्रंथों के अनुसार प्रागज्योतिषपुर के नाम से पहचाना जाता था. यह प्रदेश पुराणों के अनुसार कामरूप राज्य की राजधानी था. भागवान श्री कृष्ण के पौत्र अनिरुद्ध ने महाभारत के अनुसार इस प्रदेश की उषा नामक युवती पर मोहित होकर, उसका अपहरण कर लिया था.
हंलांकि स्थानीय दन्तकथाओं में कहा जाता है कि उषा ने ही अनिरुद्ध पर मोहित होकर उसका अपहरण कर लिया था. इस घटना को स्थानीय क्षेत्र में कुमार हरण के नाम से जाना जाता है.
महाभारत के समय से लेकर 7वीं सदी के मध्य के भास्करवर्मन के शासनकाल तक इस प्रदेश पर एक ही वंश ने शासन किया था. हमें इसकी जानकारी भास्करवर्मन के नालंदा से प्राप्त वंशावली संबंधी मुद्राओं, निधानपुर तथा दुबी के ताम्रपत्र व ह्वेनसांग तथा बाणभट्ट के वर्णन से मिलती है.
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इस राजवंश का कहना है कि इस वंश की उत्पत्ति ‘असुर नरक’ से हुई थी. पुराणों तथा महाकाव्यों के अनुसार यह पृथ्वी का पुत्र तथा विष्णु का वराह अवतार था। इसी कारण इस राजवंश को “भौम” अर्थात “भूमि का पुत्र” के नाम से जाना जाता है.
राजवंश के शिलालेखों में कहा गया है कि कामरूप में राजा भागदत्त तथा उसके उत्तराधिकारियों ने लगभग 3000 वर्षों तक शासन किया तथा इनके बाद प्रदेश के राजा पुष्यवर्मन हुआ था. समुद्रगुप्त का, पुष्यवर्मन समकालीन था. पुष्यवर्मन को नालंदा की मुद्रा में प्रग्ज्योतिष का स्वामी कहा गया है.
इसी स्रोत से हमें पुष्यवर्मन के 12 परवर्ती शासकों का भी वर्णन प्राप्त होता है. कामरूप आठवे राजा महाभूतिवर्मन के समय में शक्तिशाली राज्य बन गया था. इसके पौत्र “चंद्रमुखवर्मन” ने “अश्वमेघ यज्ञ” करवाया था. राजा हर्षवर्धन का भास्कर वर्मन साहयक था. बाणभट्ट द्वारा रचित हर्ष की जीवनी “हर्षचरित” में इसका उल्लेख मिलता है.
मध्यकालीन असम
सन् 1228 ई. में मध्यकाल में बर्मा के एक चीनी विजेता “चाउ लुंग सिउ का फा” ने इस प्रदेश पर अपना अधिकार जमा लिया था. यह शासक अहोम राजवंश का था, इसने अपने राजवंश की सत्ता यहां कायम की थी.
अहोम वंश का इस प्रदेश पर शासन 1829 ई. में तब तक बना रहा जब अंग्रेजों ने उन्हे पराजित कर दिया. ऐसा माना जाता की अहोम शासकों के कारण ही इस प्रदेश का नाम असम पड़ा रखा गया है.
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आधुनिक असम
- 1826 ई. के प्रथम युद्ध के बाद असम ब्रिटिश संरक्षण में आया गया था.
- कछार का असम में 1832 ई. में मिलाया जाना.
- जयंतिया क्षेत्र का असम में 1835 ई. में मिलाया जाना.
- ब्रिटिश साम्राज्य में मुख्य आयुक्त (चीफ कमिश्नर) के अधीन असम को 1874 ई. में प्रांत के रूप में बनाया जाना.
- भारत की स्वतंत्रता की 1947 ई. में प्राप्ति तथा विभाजन के परिणामस्वरूप पाकिस्तान में मुस्लिम बहुल सिलहट क्षेत्र का विलयन.
- नागालैंड का केंद्रशासित 1957 ई. में क्षेत्र घोषित होना जो 1962 ई. में यह एक अलग राज्य घोषित हो गया.
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असम का इतिहास FAQ
Ans असम को प्राचीन भारतीय ग्रंथों के अनुसार प्रागज्योतिषपुर के नाम से पहचाना जाता था.
Ans असम पुराणों के अनुसार कामरूप राज्य की राजधानी था.
Ans अपहरण घटना को स्थानीय क्षेत्र में कुमार हरण के नाम से जाना जाता है.
Ans समुद्रगुप्त का पुष्यवर्मन समकालीन था.
Ans पुष्यवर्मन को नालंदा की मुद्रा में प्रग्ज्योतिष का स्वामी कहा गया है.
Ans कामरूप वंश के आठवे राजा महाभूतिवर्मन थे.
Ans सन् 1228 ई. में मध्यकाल में बर्मा के एक चीनी विजेता “चाउ लुंग सिउ का फा” ने इस प्रदेश पर अपना अधिकार जमा लिया था.
Ans “चाउ लुंग सिउ का फा” अहोम राजवंश का शासक था.
Ans अहोम वंश का प्रदेश पर शासन 1829 ई. तक बना रहा था.
Ans इस प्रदेश का नाम “अहोम वंश” के नाम पर असम रखा गया था.
Ans 1826 ई. के प्रथम युद्ध के बाद असम ब्रिटिश संरक्षण में आया गया था.
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