बौद्ध धर्म के नियम | rules of Buddhism | बौद्धधर्म के बारें में हमें विषद ज्ञान त्रिपिटक से प्राप्त होता है. तीनों पिटकों की भाषा पालि है. थेरवाद मत की पालि त्रिपिटक सबसे पुराना है
बौद्ध धर्म के नियम | rules of Buddhism
बौद्ध धर्म के बारें में हमें विषद ज्ञान त्रिपिटक से प्राप्त होता है. तीनों पिटकों की भाषा पालि है. थेरवाद मत की पालि त्रिपिटक सबसे पुराना है. सुत्रपिटक में बुद्ध के धार्मिक सिद्धन्तों को संवाद रूप में संकलित किया गया है. विनयपिटक में संघ के भिक्षु व भिक्षुणी के लिए बनाए गए नियमों का संग्रह किया गया है व इसमें संघ के नियमों को तोड़ने पर किए जाने वाल्व प्रायश्चितों को सूची भी दी गई है.
अभिधम्मपिटक में सुत्र्पितक में वर्णित सिद्धांतों को के सुव्यवस्थित अनुशीलन के लिए आवश्यक सुचीओं के सारांश तथा प्रश्न उत्तरी का समावेश किया गया है.
सुत्रपिटक के पांच निकाय है :- दीघ, मज्झिम, संयुक्त, अन्गुतर,खुद्दक | बुद्ध के पूर्व जन्मों से जुडी कथाएँ खुद्दक निकाय की 15 पुस्तकों में से एक है. खुद्दक निकाय में धम्मपद [नैतिक उपदेशों का पधात्मक संकलन], थेरगाथा [बौद्ध भिक्षुओं के गीत] व थेरीगाथा [बौद्ध भिक्षुणियों के गीत] है.
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बौद्ध धर्म मूलतः अनीश्वरवादी है. इसमें आत्मा की परिकल्पना भी नहीं है. बौद्धधर्म में पुनर्जन्म की मान्यता है. तृष्णा को क्षीण हो जाने की अवस्था को ही बुद्ध ने निर्वाण कहा है.

बुद्ध के अनुनायी दो भागों में विभाजित थे :-
- भिक्षुक :- बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए जिन्होंने सन्यास ग्रहण किया उसे भिक्षुक कहा गया है.
- उपासक :- गृहस्थ जीवन व्यतीत करते हुए बौद्ध धर्म अपनाने वाले को उपासक कहा गया है.
बौध संघ में सम्मलित होने की न्यूनतम आयु 15 वर्ष की थी. बौद्ध संघ में सम्म्म्लित होने को उपसम्पदा कहा जाता था. बौद्ध धर्म के त्रिरत्न है :- बुद्ध, धम्म व संघ |
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बौद्ध सभाएं
सभा | समय | स्थान | अध्यक्ष | शासनकाल |
प्रथम बौद्ध संगीति | 483 ई. पूर्व | राजगृह | महाकश्यप | अजातशत्रु |
द्वितीय बौद्ध संगीति | 383 ई. पूर्व | वैशाली | सबाकामी | कालाशोक |
तृतीय बौद्ध संगीति | 255 ई. पूर्व | पाटलिपुत्र | मोग्गलिपुत्त | अशोक |
चतुर्थ बौद्ध संगीति | ई. की प्रथम शताब्दी | कुंडलवन | वसुमित्र/अश्वघोष | कनिष्क |
चतुर्थ बौद्ध संगीति के बाद बौद्ध धर्म दो भागों में हीनयान व महायान में विभाजित हो गया. बौद्धधर्म के संप्रदाय का आदर्श बोधिसत्व है. बोधिसत्व दुसरे के कल्याण को प्राथमिकता देते हुए अपने निर्वाण में विलम्ब करते है. हीनयान का आदर्श अर्हत पद को प्राप्त को प्राप्त करना है, जो व्यक्ति साधना से निर्वाण की प्राप्ति करते है उन्हें अर्हत कहा जाता है.
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बौद्ध धर्म के नियम FAQ
Ans बौद्धधर्म के बारें में हमें विषद ज्ञान त्रिपिटक से प्राप्त होता है.
Ans तीनों पिटकों की भाषा पालि है.
Ans थेरवाद मत की पालि त्रिपिटक सबसे पुराना है.
Ans विनयपिटक में संघ के भिक्षु व भिक्षुणी के लिए बनाए गए नियमों का संग्रह किया गया है.
Ans सुत्रपिटक के पांच निकाय है.
Ans सुत्रपिटक के निकाय निम्न है :- दीघ, मज्झिम, संयुक्त, अन्गुतर,खुद्दक.
Ans बुद्ध के पूर्व जन्मों से जुडी कथाएँ खुद्दक निकाय की 15 पुस्तकों में से एक है.
Ans तृष्णा को क्षीण हो जाने की अवस्था को ही बुद्ध ने निर्वाण कहा है.
Ans बुद्ध के अनुनायी दो भागों में विभाजित थे.
Ans बुद्ध के अनुनायी भिक्षुक व उपासक में विभाजित थे.
Ans बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए जिन्होंने सन्यास ग्रहण किया उसे भिक्षुक कहा गया है.
Ans गृहस्थ जीवन व्यतीत करते हुए बौद्ध धर्म अपनाने वाले को उपासक कहा गया है.
Ans बौध संघ में सम्मलित होने की न्यूनतम आयु 15 वर्ष की थी.
Ans बौद्ध संघ में सम्म्म्लित होने को उपसम्पदा कहा जाता था.
Ans बौद्ध धर्म के त्रिरत्न है :- बुद्ध, धम्म व संघ.
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