भरतपुर का जाटवंश | राजस्थान के पूर्वी भाग यथा भरतपुर, धौलपुर, डीग आदि पर जाट वंश का शासन था। यहाँ जाट शक्ति का उत्थान औरंगजेब के शासन काल से हुआ था
भरतपुर का जाटवंश
राजस्थान के पूर्वी भाग यथा भरतपुर, धौलपुर, डीग आदि पर जाट वंश का शासन था। यहाँ जाट शक्ति का उत्थान औरंगजेब के शासन काल से हुआ था। कहा जाता है कि इसका नाम भरतपुर अयोध्यापति भगवान श्रीराम के भाई भरत पर रखा गया। जिनके अन्य भाई लक्ष्मण न केवल भरतपुर राजवंश के कुल देवता पूजित थे वरन् उनका नाम भी उनके कुल-चिह्न एवं रूप राज-मुद्रा पर अंकित था।
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औरंगजेब के खिलाफ पहला संगठित विद्रोह आगरा और दिल्ली क्षेत्र में बसे जाटों ने किया। इस विद्रोह की रीढ़ अधिकतर किसान और काश्तकार थे किन्तु नेतृत्व मुख्यतः जमीदारों ने किया। जाटों का विद्रोह आर्थिक कारणों को लेकर के शुरू हुआ। इस विद्रोह को सतनामी आन्दोलन का समर्थन प्राप्त था।
जाट जाति कृषि में कुशलता और वीरता के लिए प्रसिद्ध रही है। 1669 ई. में मथुरा क्षेत्र के जाटों ने एक स्थानीय जाट जमींदार ‘गोकुल जाट’ के नेतृत्व में पहला हिन्दू विद्रोह किया। तिलपत के युद्ध में मुगल फौजदार हसन अलीखाँ ने जाटों को परास्त किया और गोकुल को बन्दी बनाकर मार डाला।
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भरतपुर का जाटवंश FAQ
Ans – जाट वंश का शासन राजस्थान के पूर्वी भाग यथा भरतपुर, धौलपुर, डीग आदि स्थानों पर था.
Ans – जाट शक्ति का उत्थान औरंगजेब के शासन काल से हुआ था.
Ans – भरतपुर का नाम अयोध्यापति भगवान श्रीराम के भाई भरत पर रखा गया था.
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