अलवर का कछवाहा राजवंश | अलवर नाम की व्युत्पत्ति के विषय में अनेक दंत कथाएँ प्रचलित हैं। कनिंघम का मत है कि अलवर नगर को इसका नाम सल्व जनजाति से प्राप्त हुआ
अलवर का कछवाहा राजवंश
अलवर नाम की व्युत्पत्ति के विषय में अनेक दंत कथाएँ प्रचलित हैं। कनिंघम का मत है कि अलवर नगर को इसका नाम सल्व जनजाति से प्राप्त हुआ और मूल रूप से यह सल्वपुर था, फिर सल्वर हुआ फिर हलवर और अन्त में अलवर अलवर प्राचीन मत्स्य प्रदेश का हिस्सा रहा है। जिसकी राजधानी विराट नगर थी।
महाभारत काल में पाण्डवों ने यहाँ एकान्तवास व्यतित किया तथा राजा विराट की पुत्री उत्तरा का विवाह अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु से हुआ। अलवर के महाराजा जयसिंह के शासनकाल में किए गए शोध से प्रकट हुआ की 11 वीं शताब्दी में इस क्षेत्र में आमेर के महाराजा काकिलदेव का शासन था और उनके द्वारा शासित प्रदेश की सीमा वर्तमान अलवर नगर तक फैली हुई थी। उन्होंने सन् 1059 ई. में अलपुर नगर बसाया।
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प्रतापसिंह नरूका :
मोहब्बतसिंह का पुत्र प्रतापसिंह जिसने 1775 में अलवर राज्य की स्थापना की। प्रारम्भ में वह जयपुर नरेश को सेवा में था। जब 1755 में मराठों ने रणथम्भौर दुर्ग को घेर लिया तब उसने सैनिक सहायता देकर दुर्ग को मराठों के हाथों में जाने से बचाया। सन् 1765 में इसने मावण्डा युद्ध में भरतपुर नरेश जवाहरसिंह जाट के विरुद्ध जयपुर नरेश माधोसिंह को सहायता दी थी। इस लड़ाई में इसकी वीरता को देखकर जाट इतने आतंकित हो गये कि बाद में जब इसने अलवर का दुर्ग और क्षेत्र जाटों से छीन लिया। तो वे बस निराश हो बैठे। मुगल बादशाह को भरतपुर नरेश के विरुद्ध भी इसने सहायता दी थी, अत: बादशाह ने 1774 में इसको रावराजा बहादुर को उपाधि तथा पंज हजारी मनसब दो थी तथा माचेड़ो को जयपुर से स्वतंत्र राज्य मान लिया था। सन् 1775 की 25 दिसम्बर को वह एक स्वतंत्र शासक बन गया।

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बख्तावर सिंह:
अलवर नरेश (1791-1815) जो रावराजा प्रतापसिंह का दत्तक पुत्र था। इसने लासवाड़ी के युद्ध में मराठी के विरुद्ध अंग्रेजों की सहायता की। दोनों पक्षों के बीच 1803 में आपनी मित्रता व सहयोग को सौंध हो गई। साँध के द्वारा नीमराणा (राठ) सहित 13 परगने जनरल लेक ने बख्तावरसिंह को प्रदान किये। सन् 1805 में एक और साँध अंग्रेजों से हुई जिसके अनुसार बख्तावर सिंह को तिजारा, टपूकड़ा और कठुम्बर के परगने दिए गए।
सन् 1815 में बख्तावर सिंह की मृत्यु के बाद उसके दो अल्पव्यस्क (विनयसिंह व बख्तावर सिंह) एक साथ गद्दी पर बैठे। कम्पनी सरकार ने दोनों को बराबर का शासक होने को मान्यता दी। परंतु बाद में विनयसिंह (बन्ने सिंह) के दबाव के कारण वार सिंह को शासक पद से हटा दिया। परवर्ती शासक जयसिंह ने नरेन्द्र मण्डल के सदस्य के रूप में गोलमेज सम्मेलन में भाग लिया नरेन्द्र मण्डल को नाम महाराजा जयसिंह ने ही दिया। सन् 1933 में अंग्रेज सरकार ने इन्हें पदच्युत कर राज्य से निष्कासित कर दिया। इनका पेरिस में 1937 ई. में निधन हो गया। मार्च 1949 में अलवर का मत्स्य संघ में विलय हो गया।
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अलवर का कछवाहा राजवंश FAQ
Ans – अलपुर नगर की स्थापना 1059 ई. में की गई थी.
Ans – अलपुर नगर की स्थापना महाराजा काकिलदेव ने की थी.
Ans – अलवर राज्य की स्थापना प्रतापसिंह ने की थी.
Ans – अलवर राज्य की स्थापना 1775 में की गई थी.
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