महाराजा अभयसिंह | अभयसिंह महाराजा अजीतसिंह का पुत्र था जो 1724 ई. में मारवाड़ का शासक बना। ‘खेजड़ली आंदोलन’ महाराजा अभय सिंह के काल में ही हुआ था
महाराजा अभयसिंह
अभयसिंह महाराजा अजीतसिंह का पुत्र था जो 1724 ई. में मारवाड़ का शासक बना। 1725 ई. में सरबुलंद खां के साथ गुजरात और दक्षिणियों के उपद्रवों को दबाने के लिए गुजरात गया। वहां से लौटकर अपना राजतिलकोत्सव मनाया इस अवसर अपने भाई बख्तसिंह को इन्द्रसिंह से नागौर लेकर दिया और ‘राजाधिराज’ की उपाधि दी।
छोटे भाईयों द्वारा मराठों को बुलाना महाराजा के छोटे भाई आनंदसिंह और जयसिंह (सौतेले) ने इसके विरूद्ध होकर एक दल बनाया और उन्हीं के कहने से मराठा कन्तजी कदम और पीलाजी गायकवाड़ ने जालौर पर आक्रमण किया था परन्तु उससे भंडारी खीवसी के माध्यम से संधि करनी पड़ी।
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वि.स. 1787 (ई.स. 1730) में आनंदसिंह और रायसिंह ने ईडर पर अधिकार कर लिया। यह प्रांत महाराजा को बादशाह की ओर से थिराड के साथ (वि.स. 1782) में मिला था। महाराजा ने आनंदसिंह के इस कार्य में कोई आपत्ति नहीं की।

1730 को अमृतादेवी के नेतृत्व में 363 स्त्री-पुरुष (294 पुरुष, 69 स्त्रियां) मारे गये थे। इस घटना को ‘खेजड़ली आंदोलन’ के नाम से जाना जाता है। इस घटना की स्मृति में खेजड़ली में प्रतिवर्ष भाद्रपद शुक्ला दशमी को विश्व का एकमात्र विश्व मेला’ आयोजित किया जाता है।
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गुजरात सूबेदारी एवं सरबुलंद खां से युद्ध इसी वर्ष बादशाह ने गुजरात के सूबेदार सर बुलन्दखां की जगह महाराजा अभयसिंह को गुजरात की सूबेदारी दी गई, साथ ही अजमेर भी बादशाह ने अभयसिंह को दे दिया। ई.स. 1730 अक्टूबर के प्रारंभ में अभयसिंह साबरमती के किनारे मोजिर नामक गांव में पहुंचा, जहां से केवल दो मील दूर सरबुलंद खां के डेरे थे। सुबह होने पर सरबुलंद खां सेना सहित सामने आकर डट गया। इस युद्ध में महाराजा अभयसिंह के साथ वीरमाण भी मौजूद था जिसने अपने ‘राजरूपक’ में इस युद्ध का आंखो देखा वर्णन किया है।
1734 ई. में महाराजा ने ‘हुरड़ा सम्मेलन’ में भाग लिया, जो मराठों के विरुद्ध राजपूत शासकों द्वारा एकजुटता दिखाकर लड़ने के लिए बुलाया गया था। 1749 ई. में इसकी मृत्यु हो गई। अभयसिंह के बाद इनका छोटा भाई बख्तसिंह मारवाड़ का महाराजा बना।
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महाराजा अभयसिंह FAQ
Ans – अभयसिंह महाराजा अजीतसिंह का पुत्र था.
Ans – अभयसिंह 1724 ई. में मारवाड़ का शासक बना था.
Ans – ‘खेजड़ली आंदोलन’ 1730 ई. में हुआ था.
Ans – ‘खेजड़ली आंदोलन’ अमृतादेवी के नेतृत्व में आरंभ किया गया था.
Ans – हुरड़ा सम्मलेन 1734 ई. में हुआ था.
Ans – महाराजा अभय सिंह की मृत्यु 1749 ई. में हुई थी.
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