महाराजा अनूपसिंह | महाराजा कर्णसिंह के जेष्ठ पुत्र अनूपसिंह का जन्म रक्मांग चन्द्रावत की बेटी रानी कमलादे से 11 मार्च, 1638 को हुआ था। इनका राज्याभिषेक 1669 ई. को किया गया था. संगीताचार्य जनार्दन भट्ट का पुत्र भाव भट्ट ने अपने ग्रंथों का नाम बीकानेर महाराजा अनूप सिंह के नाम पर रखा था.
महाराजा अनूपसिंह
महाराजा कर्णसिंह के जेष्ठ पुत्र अनूपसिंह का जन्म रक्मांग चन्द्रावत की बेटी रानी कमलादे से 11 मार्च, 1638 को हुआ था। उसके पिता की विद्यमानता में ही बादशाह ने उसे 2000 जात एवं 1500 सवार का मनसब देकर बीकानेर का राज्याधिकार सौंप दिया था। 1669 ई. में महाराजा अनूपसिंह ने बीकानेर के शासन की बागडोर संभाली।
इसके समय में चूडेर के गढ़ के स्थान पर नए गढ़ का निर्माण हुआ जिसका नाम ‘अनूपगढ़’ रखा गया। अनूपसिंह के अनौरस भाई ‘वनमालीदास’ ने अपना धर्म परिवर्तन कर सैय्यद हसन अली के सहयोग से बादशाह से अपने नाम आधा बीकानेर लिखवा लिया। अनूपसिंह ने वनमाली को मारने का कार्यभार विश्वस्त आदमियों को सौंपा जिनमें सोनगरा लक्ष्मीदास और बीका भीमराजोत मुख्य थे।
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1670 ई. में महाराजा अनूपसिंह की नियुक्ति दक्षिण में हुई जब शिवाजी का आतंक अधिक बढ़ने लगा। 1672 से 1675 ई. के दक्षिण के युद्धों में अनूपसिंह ने बहादुरखां को अपना सहयोग दिया और बड़ी वीरता से लड़ा। 1677-78 ई. में बादशाह ने उसे औरंगाबाद का शासक नियुक्त किया। दक्षिण में मराठों के विरुद्ध की गई कार्यवाहियों से प्रसन्न होकर औरंगजेब ने इन्हें ‘महाराजा’ एवं ‘माहीमरातिब’ की उपाधि तथा तीन हजारी मनसब’ प्रदान किया। दक्षिण की अधिकांश चढ़ाइयों में अनूपसिंह शाही सेना के साथ था। 8 मई, 1698 को आदूणी में अनूपसिंह का देहांत हुआ।
महाराजा अनूपसिंह एक उच्च कोटि के विद्वान, कूटनीतिज्ञ, विद्यानुरागी एवं संगीत प्रेमी शासक थे। अनूपसिंह जैसा वीर और कूटनीतिज्ञ था वैसा विद्यानुरागी भी था। वह संस्कृत भाषा का विद्वान तथा विद्वानों का आश्रयदाता था। उसने स्वयं अनेक संस्कृत ग्रंथों की रचना की थी जिनमें ‘अनूप विवेक’ (तंत्रशास्त्र), ‘कामप्रबोध’ (कामशास्त्र), ‘श्राद्धप्रयोग चिंतामणि’ और गीत गोविन्द की ‘अनूपोदय टीका” बड़ी प्रसिद्ध हैं। उसके समय में अनेक विद्वानों ने संस्कृत ग्रंथों की रचना की। श्रीनाथ सूरी के पुत्र विद्यानाथ (वैद्यनाथ) सूरि ने ‘ज्योत्पत्तिसार’ (ज्योतिष), गंगाराम के पुत्र मणिराम दीक्षित ने ‘अनूपव्यवहारसागर’ (ज्योतिष) और ‘अनूपविलास’, धर्माम्बुधि (धर्मशास्त्र) नामक ग्रंथ लिखे, तथा ‘तीर्थरत्नाकार’ की रचना अनन्त भट्ट ने की थी।
अनूपसिंह को राजस्थानी भाषा में बढ़ी रुचि थी। ‘सुकसारिका’ सुआबहोतरी के बहतर कथाओं का भाषानुवाद उसी ने किसी विद्वान से कराया। उसके आश्रित गाडण वीरभाणा ने ‘राजकुमार अनोपसिंह री वेल’ नामक बेलियां गीतों की रचना की। जोशीराय से शुकसारिका की कथाओं का संस्कृत तथा मारवाड़ी में दम्पत्तिविनोद’ नाम से अनुवाद कराया गया। श्रीधर की टीका के आधार पर गीता का गद्य और पद्य में नाजर आनन्दराम ने मारवाड़ी में अनुवाद किया था। अनूपसिंह को संगीत से भी प्रेम था। उसके दरबार में संगीताचार्य जनार्दन भट्ट का पुत्र भाव भट्ट रहता था। उसने ‘संगीतअनूपांकुश’, ‘अनूपसंगीतविलास’, ‘अनूपसंगीतरत्नाकर’, ‘नष्ठोद्दिष्ट प्रबोधकन्ध्रौपदटीका’ आदि ग्रंथों की रचना की।
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महाराजा ने दक्षिण भारत से अनेकों ग्रन्थ लाकर अपने पुस्तकालय में संरक्षित किये। वर्तमान में अनूप पुस्तकालय में बड़ी संख्या में ऐतिहासिक व महत्त्वपूर्ण ग्रंथों का संकलन विद्यमान है। दयालदास की ‘बीकानेर रा राठौड़ा री ख्यात’ में जोधपुर व बीकानेर के राठौड़ वंश का वर्णन मिलता है।
अनूपसिंह के पश्चात् महाराजा स्वरूपसिंह अपने पिता की मृत्यु के समय आदूणी में था और वहीं नौ वर्ष अवस्था में 1698 ई. उसकी गद्दीनशीनी हुई। 1700 ई. में स्वरूपसिंह की मृत्यु शीतला से हो गई। महाराजा सुजानसिंह स्वरूपसिंह का छोटा भाई था जो 1700 ई. में बीकानेर का स्वामी बना। महाराजा सुजानसिंह के समय बीकानेर पर जोधपुर के अभयसिंह एवं नागौर के शासक उसके छोटे भाई बख्तसिंह ने तीन बार आक्रमण किया। अन्त में 35 वर्ष राज्य करने पर सुजानसिंह रायसिंहपुरे में रोगग्रस्त हुआ और 1735 ई. को वहीं उसकी मृत्यु हो गयी।
महाराजा सुजानसिंह की मृत्यु के बाद उसका बड़ा पुत्र जोरावरसिंह 24 फरवरी, 1636 को बीकानेर का महाराजा बना। हिसार विजय के समय 15 मई, 1646 को अनूपपुर में बीमारी से महाराजा जोरावरसिंह का देहांत हो गया, वह निःसंतान था। उसके रचित दो संस्कृत ग्रंथ ‘वैद्यकसार’ और ‘पूजा पद्धति’- बीकानेर के पुस्तकालय में है। भाषा में उसने ‘रसिकप्रिया’ और ‘कविप्रिया’ की टीकाएं लिखी।
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महाराजा अनूपसिंह FAQ
Ans – भाव भट्ट
Ans – अनूपसिंह की माता का नाम रानी कमलादे था.
Ans – अनूपसिंह का जन्म 11 मार्च, 1638 को हुआ था.
Ans – राजा अनूपसिंह ने बीकानेर के शासन की बागडोर 1669 ई. में संभाली थी.
Ans – अनूपसिंह का देहांत 8 मई, 1698 को आदूणी में हुआ था.
Ans – अनूप सिंह के पिता का नाम महाराजा कर्णसिंह था.
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