महाराजा डूंगरसिंह | महाराजा सरदार सिंह के कोई पुत्र नहीं होने के कारण डूंगर सिंह को बीकानेर का शासक घोषित किया गया था. इन्होनें अंग्रजों से नमक नामक समझौता किया था
महाराजा डूंगरसिंह
महाराजा सरदारसिंह के एक खवासवाल पुत्र के सिवा कोई ‘पाटवी’ कुमार न था। इसलिए उन्होंने अपनी मृत्यु से कई वर्ष पूर्व सूरतसिंह के छोटे भाई की संतान में से डूंगर सिंह को अपने पास रख लिया और उसी को वसीयतनामे में अपना उत्तराधिकारी नियत कर गए।
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उसी वसीयतनामें के अनुसार महाराज की पटरानी भटियाणीजी ने डूंगर सिंह जी को गोद लेकर अंग्रेज सरकार से मंजूरी प्राप्त कर 1 जुलाई, 1872 को महाराजा डूंगरसिंह का राज्याभिषेक हुआ। इस प्रकार महाराजा डूंगरसिंह बीकानेर के पहले महाराजा थे जिनकी नियुक्ति की मान्यता अंग्रेज सरकार से प्राप्त हुई।
इस समय महाराजा की उम्र साढ़े सत्रह वर्ष की थी, अतः यहां के पॉलिटिकल एजेन्ट कैप्टन ब्रिटेन की अध्यक्षता में रीजेण्ट कौसिल बनाई गई। वर्ष के अंत में कैप्टन ब्रेडफोर्ड बीकानेर आए जो महाराज को पूर्ण अधिकार मिलने का हुक्म लाए। जनवरी, 1873 में राजपूताना के ए.जी.जी. कर्नल ब्रुक ने मामूली खिलअत के साथ महाराज को राज्य का पूर्ण शासनाधिकार दिया।
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महाराजा डूंगरसिंह FAQ
Ans – राजा सरदार सिंह के कोई पुत्र नहीं होने के कारण डूंगर सिंह को बीकानेर का शासक घोषित किया गया था.
Ans – राजा डूंगरसिंह का राज्याभिषेक 1 जुलाई, 1872 को हुआ था.
Ans – डूंगरसिंह बीकानेर के पहले महाराजा थे जिनकी नियुक्ति की मान्यता अंग्रेज सरकार से प्राप्त हुई.
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