महाराजा गजसिंह बीकानेर | ‘जोधपुर की ख्यात’ में पाया जाता है कि जोरावरसिंह के निःसंतान मरने पर उसके भाई आनन्दसिंह के छोटे पुत्र गजसिंह को बीकानेर की गद्दी मिली
महाराजा गजसिंह बीकानेर
‘जोधपुर की ख्यात’ में पाया जाता है कि जोरावरसिंह के निःसंतान मरने पर उसके भाई आनन्दसिंह के छोटे पुत्र गजसिंह को बीकानेर की गद्दी मिली। गजसिंह को 17 जून, 1746 को बीकानेर की गद्दी पर बिठाया। मुगल बादशाह अहमदशाह ने मई, 1752 में हिसार परगना राजा गजसिंह के नाम कर दिया।
यह भी देखे :- महाराजा कर्णसिंह
इसी समय बादशाह अहमदशह का फरमान आया कि वजीर मंसूरअली खां सफदरजंग विद्रोही हो गया है, इसलिए शीघ्र सेना लेकर आओ। इस समय महाराज गजसिंह अपनी सेना सहित दिल्ली पहुंचा। बादशाह ने प्रसन्न होकर गजसिंह को ‘सात हजारी मनसब’ (7000 जात और 5000 सवार) करके सिरोपाव के साथ श्री राजराजेश्वर महाराजाधिराज महाशिरोमणि श्री गजसिंह’ का खिताब प्रदान किया। इस अवसर पर उसे ‘माहि मरातिब’ का श्रेष्ठ सम्मान भी प्राप्त हुआ और उसके कुंवर राजसिंह को ‘चार हजारी मनसब’ (4000 जात और 2000 सवार) तथा मेहता बख्तावरसिंह को ‘राव’ का खिताब दिया गया।

1757 ई. में गजसिंह ने नोहर के कोट का निर्माण किया। 1766 में राजगढ़ की नींव रखी गई। महाराजा गजसिंह के राज्यकाल में चारण गाड़ण गोपीनाथ ने ‘ग्रंथराज अथवा महाराजा गजसिंह जी रौ रूपक’ नामक काव्य ग्रंथ की रचना की थी, सिंढायच फतेहराम ने भी ‘महाराजा गजसिंह रौ रूपक’ नामक काव्य ग्रंथ की रचना की।
यह भी देखे :- महाराजा सूरसिंह
मुंशी देवीप्रसाद ने महाराजा गजसिंह के बारे में लिखा है “महाराजा गजसिंह कवि भी थे। भजन खूब बनाते थे और कविता भी करते थे। इनकी कविता का एक गुटका बीकानेर में पुस्तकालय में है। 1787 ई. को महाराजा गजसिंह की मृत्यु हो गई। जीवित रहते हुए ही उसने राजसिंह को समस्त राज्य कार्य सुपुर्द कर दिया। महाराजा गजसिंह की मृत्यु के बाद उनका बड़ा पुत्र राजसिंह 4 अप्रैल, 1787 को बीकानेर की गद्दी पर बैठा।
21 दिन राज करने के बाद महाराजा राजसिंह की मृत्यु हो गई। इस संदर्भ में कर्नल टॉड ने लिखा है कि उसके भाई सूरतसिंह की माता ने राजसिंह को विष दिया था। टॉड लिखता है कि ‘राजसिंह के दो पुत्र थे- प्रतापसिंह एवं जयसिंह। राजसिंह की सूरतसिंह (राजसिंह के छोटे भाई) की संरक्षता में प्रतापसिंह बीकानेर की गद्दी पर बैठाया गया। बाद में सूरतसिंह ने अपने स्वामी की हत्या कर दी और स्वयं बीकानेर का शासक बन बैठा। यह घटना अप्रैल, 1789 की है।
यह भी देखे :- महाराजा रायसिंह
महाराजा गजसिंह बीकानेर FAQ
Ans – गजसिंह के पिता का नाम आनन्दसिंह था.
Ans – गज सिंह को 17 जून, 1746 को बीकानेर की गद्दी पर बिठाया गया था.
Ans – मुगल बादशाह अहमदशाह ने मई, 1752 में हिसार परगना गजसिंह के नाम कर दिया.
Ans – गजसिंह ने नोहर के कोट का निर्माण 1757 ई. में किया था.
Ans – राजा गजसिंह की मृत्यु 1787 ई. को हुई थी.
आर्टिकल को पूरा पढ़ने के लिए आपका बहुत धन्यवाद.. यदि आपको हमारा यह आर्टिकल पसन्द आया तो इसे अपने मित्रों, रिश्तेदारों व अन्य लोगों के साथ शेयर करना मत भूलना ताकि वे भी इस आर्टिकल से संबंधित जानकारी को आसानी से समझ सके.
यह भी देखे :- राव कल्याणमल