महाराजा सरदारसिंह | 11 अक्टूबर 1895 ई. को महाराजा सरदारसिंह मारवाड़ का शासक बना। राजा सरदार सिंह का जन्म 11 फरवरी 1880 ई. को व देहांत 31 वर्ष की उम्र में 21 मार्च 1911 ई. को हुआ था
महाराजा सरदारसिंह
1895 ई. में महाराजा सरदारसिंह मारवाड़ का शासक बना। 24 नवम्बर, 1895 ई. को वायसराय लार्ड ऐल्गिन के जोधपुर आने पर उनके हाथ से ‘जसवंत फीमेल हॉस्पीटल’ नामक जनाना अस्पताल का उद्घाटन करवाया। 26 नवम्बर 1895 ई. को उन्हीं के हाथ से ‘ऐलूगिन राजपूत-स्कूल’ का उद्घाटन करवाया गया।
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‘बॉक्सर युद्ध’ में मारवाड़ की सेना चीन भेजी गई, जहां इस सेना ने वीरता दिखाई। अतः सरकार ने मारवाड़ के झंडे पर ‘चाइना 1900’ लिखने का सम्मान प्रदान किया एवं चीन से छीनी चार तोपें भी भेंट की। दिसम्बर, 1908 में महाराजा सरदारसिंह लार्ड मिंटो की पुत्री के विवाह में भाग लेने कलकत्ता गए।
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मई, 1910 में इन्होंने ‘एडवर्ड-रिलीफ फण्ड’ बनाया, जिसमें 29,000 रुपये सालाना मंजूर कर असमर्थ नगर निवासियों की पेंशन का प्रबंध किया। राजा सरदार सिंह ने अपने पिता की स्मृति में प्रसिद्ध जसवंत थड़ा का निर्माण करवाया था। जोधपुर में स्थित सरदार क्लॉक टावर भी इन्हीं के द्वारा बनवाया गया है।
जून, 1910 में बंगाल ऐशियाटिक सोसायटी की प्रार्थना पर राज्य की तरफ से ‘डिंगल’ भाषा की कविता आदि का संग्रह करने के लिए ‘बौद्धिक रिसर्च कमेटी’ बनाई गई। 1911 में इनकी मृत्यु हो गई। इनको घुड़दौड़, शिकार और पोलों का भी शौक था। इनके शौक के कारण ही जोधपुर उस समय ‘पोलो का घर’ कहलाता था।
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महाराजा सरदारसिंह FAQ
Ans – महाराजा सरदार सिंह 11 अक्टूबर 1895 ई. को मारवाड़ का शासक बना।
Ans – राजा सरदार सिंह का जन्म 11 फरवरी 1880 ई. को हुआ था.
Ans – राजा सरदार सिंह का देहांत 31 वर्ष की उम्र में हुआ था.
Ans – राजा सरदार सिंह का देहांत 21 मार्च 1911 ई. को हुआ था.
Ans – महाराजा सरदार सिंह के समय में जोधपुर ‘पोलो का घर’ के रूप में जाना जाता था.
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