महाराजा विजयसिंह | महाराजा विजयसिंह अपने पिता बख्तसिंह की मृत्यु (1752 ई.) के बाद मारवाड़ का शासक बना | उसके द्वारा ढलवाये गये सिक्के ‘विजयशाही’ के नाम से प्रसिद्ध हुए
महाराजा विजयसिंह
राजा विजयसिंह अपने पिता बख्तसिंह की मृत्यु (1752 ई.) के बाद मारवाड़ का शासक बना। विजयसिंह ने जोधपुर में टकसाल खोली। उसके द्वारा ढलवाये गये सिक्के ‘विजयशाही’ के नाम से प्रसिद्ध हुए।
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विजयसिंह पर अपनी पासवान गुलाबराय का अत्यधिक प्रभाव था, राजकार्य उसके इशारे से ही चलता था। अतः वीर विनोद के रचनाकार श्यामलदास ने विजयसिंह के लिए लिखा “इन (महाराजा) को जहांगीर और पासवान (गुलाबराय) को नूरजहां का नमूना कहना चाहिए।”

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डंगा का युद्ध (1790 ई.) :
मेड़ता के पास डंगा नामक स्थान पर 10 सितम्बर, 1790 को सिंधिया के सेनानायक डी. बोइन ने जोधपुर के शासक विजयसिंह राठौड़ की सेना को पराजित किया। युद्ध के परिणामस्वरूप सांभर की साँध (5 जनवरी, 1791) हुई, जिसके अनुसार अजमेर शहर तथा दुर्ग एवं 60 लाख रुपये मराठों को देना निश्चित हुआ। राठौड़ सेना को भयंकर क्षति उठानी पड़ी और उसका मनोबल टूट गया।
महाराजा विजयसिंह के 7 रानियां एक पासवान गुलाबराय थी तथा 7 पुत्र हुए जिनमें फतहसिंह और भौमसिंह कंवरपदे में निःसंतान मर गए। इनका पुत्र भीमसिंह जोधपुर की गद्दी पर बैठा और सबसे छोटा पुत्र मानसिंह था। महाराजा भीमसिंह ने 10 वर्ष राज्य कर ई.स. 1803 में महाराजा का नि:संतान देहावसान हो गया।
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महाराजा विजयसिंह FAQ
Ans – बख्तसिंह की मृत्यु के बाद मारवाड़ का शासक महाराजा विजय सिंह बना था.
Ans – विजय सिंह के द्वारा ढलवाये गये सिक्के ‘विजयशाही’ के नाम से प्रसिद्ध हुए.
Ans – राजा विजय सिंह का देहांत 1803 ई. को हुआ था.
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