महाराणा भीमसिंह | हमीरसिंह द्वितीय की मृत्यु के बाद 1778 ई. में भीमसिंह मेवाड़ की गद्दी पर बैठा। इनके समय में अनेक घटनाएं घटी। जिनमें सर्वप्रथम कृष्णा कुमारी का दुःखद अंत है
महाराणा भीमसिंह
कृष्णा कुमारी विवाद: कृष्णा कुमारी मेवाड़ महाराणा भीमसिंह की 16 वर्षीय कन्या थी जिसका शगुन जोधपुर महाराजा भीमसिंह को भेजा गया। विवाह पूर्व ही जोधपुर महाराजा भीमसिंह की मृत्यु हो गई तो महाराणा भीमसिंह ने राजकुमारी का शगुन जयपुर के महाराजा जगतसिंह को भेज दिया।
इसका जोधपुर के नये शासक मानसिंह ने विरोध किया और जयपुर, जोधपुर में शगुन को लेकर “मिंगोली का युद्ध’ भी हुआ। जोधपुर शासक मानसिंह ने भाड़ैत के अमीर खां पिण्डारी को बुलाया जिसने तीनों ही पक्षों को बुरी तरह लूटा।
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नवाब अमीर खाँ ने उदयपुर पहुंचकर अजीतसिंह चूडावत के द्वारा, जो उसकी सेना में महाराणा की तरफ से वकील था, महाराणा को कहलाया या तो आप अपनी कन्या का विवाह महाराजा मानसिंह के साथ कर दें या उसे मरवा डालें। यदि आप मेरा कहना न मानेंगे, तो मैं आपके देश को बरबाद कर दूंगा।’ मेवाड़ की दशा ऐसी निर्बल हो गई थी कि महाराणा को लाचार होकर उसका कथन स्वीकार करना पड़ा।
उसने दौलतसिंह (भैरवसिंहोत) को कृष्णाकुमारी का वध करने की आज्ञा दी। दौलतसिंह क्रोध से भड़क उठा और कहा यह काम हत्यारों का है। फिर महाराणा अरिसिंह के पावानिए (अनौरस) पुत्र जवानदास को आज्ञा दी। वह कटार लेकर अंत: पुर में गया लेकिन लावण्य बाला को देखकर उसके हाथ कांप गए और कटार गिर गया। महाराणी चावड़ी का विलाप देखकर जवानदास भी भाग निकला।

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तब राजकुमारी को जहर मिला हुआ शरबत पीने के लिए दिया गया। उसने प्रसन्नतापूर्वक शरबत का प्याला हाथ में लेकर अपनी माता को दिलासा देते हुए कहा- माता! तू क्यों विलाप कर रही है? मैं मौत से नहीं डरती राजकन्याओं का जन्म तो आत्मबलि के लिए ही होता है।
इस तरह तीन बार जहर पीने और प्रत्येक बार के से निकल जाने पर अफीम पिलाने से उसकी जीवन लीला समाप्त हुई। यह करुणापूर्ण घटना वि.सं. 1867 श्रावण वदि 5 (ई.सं. 1810 ता. 21 जुलाई) को हुई। फिर नवाब अमीरखा मेवाड़ से लौट गया।
ईस्ट इण्डिया कम्पनी से संधि
1818 ई. में महाराणा भीमसिंह ने ईस्ट इण्डिया कम्पनी से अधीनस्थ सहयोग सोध कर ली। इस प्रकार मेवाड़ एक विदेशी शक्ति की दासता का शिकार हो गया। इनके बाद महाराणा जवानसिंह (1828-1838 ई.) मेवाड़ का शासक बना।
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महाराणा भीमसिंह FAQ
Ans – हमीरसिंह द्वितीय की मृत्यु के बाद भीमसिंह मेवाड़ की गद्दी पर बैठा.
Ans – भीमसिंह 1778 ई. में मेवाड़ की गद्दी पर बैठा.
Ans – “मिंगोली का युद्ध’ जोधपुर व जयपुर राज्य के मध्य में हुआ था.
Ans – महाराणा भीम सिंह ने ईस्ट इंडिया कंपनी से 1818 ई. को संधि की थी.
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