महाराणा सज्जनसिंह | महाराणा सज्जन सिंह बागौर के महाराजा शक्तिसिंह का पुत्र था। 20 अगस्त, 1880 को महाराणा ने शासन प्रबंध एवं न्याय कार्य के लिए ‘महेन्द्राज सभा’ की स्थापना की
महाराणा सज्जनसिंह
महाराणा सज्जन सिंह बागौर के महाराजा शक्तिसिंह का पुत्र था। अंग्रेजी संसद ने 1876 ई. में राज उपाधि अधिनियम पारित कर महारानी विक्टोरिया को ‘केसर-ए-हिन्द’ की उपाधि से विभूषित किया। 1 जनवरी, 1877 को दिल्ली में एक वैभवशाली दरबार का आयोजन किया गया।
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जिसमें सभी राजाओं को क्राउन की सरकार ने आमंत्रित किया। दुर्भाग्यवश इस समय देश में भीषण अकाल पड़ा हुआ था। जब महाराणा सज्जन सिंह के पास दरबार का निमंत्रण आया तो उन्होंने अपने कुल की मान-मर्यादा के कारण दरबार में जाना अस्वीकार कर दिया। 20 अगस्त, 1880 को महाराणा ने शासन प्रबंध एवं न्याय कार्य के लिए ‘महेन्द्राज सभा’ की स्थापना की।

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1881 ई. में मेवाड़ में जनगणना का कार्य शुरू हुआ। जनगणना के उद्देश्य की सही जानकारी नहीं मिलने से भीलों ने उपद्रव कर दिया, जिसे शक्ति से दबा दिया गया। 23 नवम्बर, 1881 ई. को गवर्नर जनरल लार्ड रिपन ने चित्तौड़ आकर महाराणा को जी.सी.एस.आई. (Grand Commander of the star of India) का खिताब दिया। 1881 ई. में उदयपुर में ‘सज्जन यंत्रालय’ नाम का छापाखाना स्थापित कर ‘सज्जन कीर्ति-सुधारक’ नामक साप्ताहिक का प्रकाशन किया गया।
महाराणा ने अपने नाम से ‘सज्जन अस्पताल’ एवं कर्नल वॉल्टर के नाम पर ‘वॉल्टर जनाना अस्पताल’ भी खोला। महाराणा ने ‘सज्जन वाणी विलास’ नामक पुस्तकालय की स्थापना भी की।
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महाराणा सज्जनसिंह FAQ
Ans – महाराणा सज्जन सिंह बागौर के महाराजा शक्तिसिंह का पुत्र था.
Ans – अंग्रेजी संसद ने 1876 ई. में राज उपाधि अधिनियम पारित कर महारानी विक्टोरिया को ‘केसर-ए-हिन्द’ की उपाधि से विभूषित किया.
Ans – महाराणा सज्जन सिंह ने ‘महेन्द्राज सभा’ की स्थापना की थी.
Ans – अगस्त, 1880 को ‘महेन्द्राज सभा’ की स्थापना की गई थी.
Ans – शासन प्रबंध एवं न्याय कार्य के लिए ‘महेन्द्राज सभा’ की स्थापना की गई थी.
Ans – 1881 ई. में मेवाड़ में जनगणना का कार्य शुरू हुआ था.
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