महाराणा विक्रमादित्य | राणा सांगा की हाडी रानी कर्मावती के दो अल्प आयु पुत्र विक्रमादित्य व उदयसिंह थे। विक्रमादित्य 1531 ई. में रणथम्भौर से आकर मेवाड़ की गद्दी पर बैठा
महाराणा विक्रमादित्य
राणा सांगा की हाडी रानी कर्मावती के दो अल्प आयु पुत्र विक्रमादित्य व उदयसिंह थे। महाराणा रत्नसिंह के निःसंतान मरने पर उसका छोटा भाई (सौतेला) विक्रमादित्य 1531 ई. में रणथम्भौर से आकर मेवाड़ की गद्दी पर बैठा। विक्रमादित्य अल्प वयस्क था तो उसकी माता एवं राणा सांगा की विधवा रानी कर्मावती उसकी संरक्षिका बनी। सन् 1535 में गुजरात के बहादुरशाह ने मेवाड़ पर आक्रमण किया।
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चित्तौड़ का युद्ध
चित्तौड़ पर इस समय राणा सांगा के द्वितीय पुत्र विक्रमादित्य का (1531-36 ई.) शासन था। वह किले की रक्षा का भार देवलिया प्रतापगढ़ के ठाकुर बाघसिंह को सौंप कर बूँदी चला गया। चित्तौड़ की रक्षार्थ कर्मावती (कर्णावती) ने मुगल बादशाह हुमायूँ को राखी भेजी।

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मगर हुमायूँ समय पर सहायता नहीं कर सका। अतः किले का पतन जानकर रानी कर्मावती ने अन्य राजपूत स्त्रियों के साथ जौहर किया तथा राजपूत योद्धा लड़ते हुए मारे गए। यह घटना चित्तौड़ के ‘दूसरा साका’ के नाम से प्रसिद्ध है। मार्च, 1535 ई. में बहादुरशाह ने किले पर अधिकार कर लिया। मगर हुमायूँ के आने की खबर सुनकर उसने चित्तौड़ छोड़ दिया।
अतः विक्रमादित्य ने पुनः चित्तौड़ पर अधिकार कर लिया, 1536 ई. में विक्रमादित्य चित्तौड़ का पुनः शासक बना। मगर इस युद्ध से उसकी शक्तिहीनता स्पष्ट हो गई। फलतः बनवीर ने विक्रमादित्य की हत्या कर चित्तौड़ की गद्दी हथिया ली। राणा सांगा के गौरवपूर्ण शासन के बाद यह नपुसंकता की हद थी। कर्नल टॉड विक्रमादित्य के आलोचक थे। टॉड के अनुसार क्या यह अच्छा नहीं रहता, यदि राणा विक्रमादित्य मेवाड़ कुल में पैदा न हुआ होता।
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महाराणा विक्रमादित्य FAQ
Ans – राणा सांगा की हाडी रानी कर्मावती के दो पुत्र थे.
Ans – विक्रमादित्य 1531 ई. में मेवाड़ की गद्दी पर बैठा था.
Ans – विक्रमादित्य अल्प वयस्क था तो उसकी माता एवं राणा सांगा की विधवा रानी कर्मावती उसकी संरक्षिका बनी.
Ans – 1535 में गुजरात के बहादुरशाह ने मेवाड़ पर आक्रमण किया था.
Ans – चित्तौड़ की रक्षार्थ कर्मावती ने मुगल बादशाह हुमायूँ को राखी भेजी थी.
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