मुगल शासन व्यवस्था part 1 | Mughal rule | मंत्रिपरिषद को विजारत कहा जाता था. बाबर एक शासनकाल में वजीर पद काफी महत्वपूर्ण था
मुगल शासन व्यवस्था part 1 | Mughal rule
ओरंगजेब के समय में असन खान ने सर्वाधिक 31 वर्षों तक दीवान के पद पर कार्य किया था. मीरबख्शी द्वारा “सरखत” नामक के पत्र पर हस्ताक्षर के बाद ही सेना को हर महीने का वेतन मिलता था. जब कभी सद्र न्याय विभाग के प्रमुख कार्य करता था, तब उसे काजी कहा जाता था.
लगानहीन भूमि का निरक्षण सद्र करता था. सम्राट के घरेलु विभागों का प्रधान मीर समा कहलाता था. सूचना या गुप्तचर विभाग का प्रधान दरोगा-ए-डाक-चौकी कहलाता था.
शरियत के प्रतिकूल कार्य करने वालों को रोकना, आम जनता के दुश्चरित्रता से बचाने का कार्य मुहतसिब नामक अधिकारी करता था. प्रशासन की दृष्टि से मुग्ल साम्राज्य का विभाजन सूबों में, सूबों का सरकार में, सरकार का परगना या महाल में, महाल का जिला या दस्तूर में व दस्तूर ग्राम में बंटे थे.
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प्रशासन की सबसे छोटी इकाई ग्राम थी, जिसे मावदा या दीह कहते थे. मावदा के अंतर्गत छोटी-छोटी बस्तियों को नागला कहा जाता था.
मुग़ल काल के प्रमुख अधिकारी व कार्य
पद | कार्य |
---|---|
सूबेदार | प्रान्तों में शांति स्थापित करना |
दीवान | प्रांतीय राजस्व का प्रधान |
बख्शी | प्रांतीय सैन्य प्रधान |
फौजदार | जिले का प्रधान फौजी अधिकारी |
आमिल या अमलगुजार | जिले का प्रमुख राजस्व अधिकारी |
कोतवाल | नगर प्रधान |
शिकदार | परगने का प्रमुख अधिकारी |
आमिल | ग्राम के कृषकों से प्रत्यक्ष संबंध बनाना एवं लगान निर्धारित करना |
शाहजहाँ के शासनकाल में सरकार व परगना के मध्य चकला नामक एक नयी इकाई की स्थापना की गई थी. भूमिकर के विभाजन के आधार पर मुगल साम्राज्य की समस्त भूमि 3 वर्गों में विभाजित थी.
- खालसा भूमि :- प्रत्यक्ष रूप से बादशाह के नियंत्रण में.
- जागीर भूमि :- तनख्वाह के बदले दी जाने वाली भूमि.
- सयुरगल अनुदान में दी गई लगान हीन भूमि. इसे मिल्क भी कहा जाता था.
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शेरशाह द्वारा भू-राजस्व हेतु अपनाई जाने वाली पद्धति राई का उपयोग अकबर ने भी किया था. अकबर द्वारा करोड़ी नामक अधिकारी की न्युक्ति 1573 इ. में की गई थी. इसे अपने क्षेत्र में करोड़ दाम वसूल करना होता था.
1580 ई. में अकबर ने दहसाला नामक नवीन प्रणाली प्रारंभ की थी. इस व्यवस्था को टोडरमल बंदोबस्त भी कहा जाता था. इस व्यवस्था के अंतर्गत भूमि को चार भागों में विभाजित किया गया था :-
- पोजल :- इसमें नियमित रूप से खेती होती थी. [वर्ष में दो बार फसल]
- परती :- इस भूमि पर एक या दो वर्ष के अन्तराल पर खेती की जाती थी.
- चाचर :- इस भूमि पर तीन या चार वर्ष के अन्तराल खेती की जाती थी.
- बंजर :- यह खेती योग्य भूमि नहीं थी, इस पर लगान नहीं वसूला जाता था.
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मुगल शासन व्यवस्था part 1 FAQ
Ans मंत्रिपरिषद को विजारत कहा जाता था.
Ans सम्राट के बाद शासन कार्यों को संचालित करने वाला सबसे महत्वपूर्ण अधिकारी वकील था.
Ans वकील के कर्तव्यों को अकबर ने चार भागों में विभाजित था.
Ans वकील के कर्तव्यों को दीवान, मीरबख्शी, सद्र-उस-सद्र एवं मीर समन में विभाजित किया गया था.
Ans ओरंगजेब के समय में असन खान ने सर्वाधिक 31 वर्षों तक दीवान के पद पर कार्य किया था.
Ans जब कभी सद्र न्याय विभाग के प्रमुख कार्य करता था, तब उसे काजी कहा जाता था.
Ans लगानहीन भूमि का निरक्षण सद्र करता था.
Ans सम्राट के घरेलु विभागों का प्रधान मीर समा कहलाता था.
Ans सूचना या गुप्तचर विभाग का प्रधान दरोगा-ए-डाक-चौकी कहलाता था.
Ans शरियत के प्रतिकूल कार्य करने वालों को रोकना, आम जनता के दुश्चरित्रता से बचाने का कार्य मुहतसिब नामक अधिकारी करता था.
Ans प्रशासन की दृष्टि से मुग्ल साम्राज्य का विभाजन सूबों में, सूबों का सरकार में, सरकार का परगना या महाल में, महाल का जिला या दस्तूर में व दस्तूर ग्राम में बंटे थे.
Ans प्रशासन की सबसे छोटी इकाई ग्राम थी.
Ans मावदा के अंतर्गत छोटी-छोटी बस्तियों को नागला कहा जाता था.
Ans भूमिकर के विभाजन के आधार पर मुगल साम्राज्य की समस्त भूमि 3 वर्गों में विभाजित थी.
Ans अकबर द्वारा करोड़ी नामक अधिकारी की न्युक्ति 1573 इ. में की गई थी.
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