राणा मोकल | महाराणा लाखा के देहान्त के समय मोकल लगभग 12 वर्ष का था जिसके कारण राज्य का सभी कार्य बड़ी कुशलता से उसका भाई चुँडा चलाता रहा
राणा मोकल
महाराणा लाखा के देहान्त के समय मोकल लगभग 12 वर्ष का था जिसके कारण राज्य का सभी कार्य बड़ी कुशलता से उसका भाई चुँडा चलाता रहा। परन्तु मोकल की माँ हंसाबाई को धीरे-धीरे व्यर्थ में ही चूँडा पर सन्देह होने लगा।
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जब इस मनोवृत्ति का आभास स्वाभिमानी चूँडा को हुआ तो वह माण्डू के दरबार में पहुँच गया जहाँ उसको सम्मानपूर्वक रखा गया। रानी ने शीघ्र ही मारवाड़ से अपने भाई रणमल को बुला लिया और उसे राज्य का भार सुपुर्द कर दिया।
भाग्यवश मारवाड़ का शासक राव चूँडा मर गया तो मेवाड़ की सेना की सहायता से रणमल ने विरोधियों को परास्त किया। इसी अर्से में मोकल ने अपनी शक्ति का संगठन करना आरम्भ कर दिया और एक के बाद दूसरे शत्रु पर विजय प्राप्त कर ली।

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मोकल ने 1428 ई. में रामपुरा (भीलवाड़ा) के युद्ध में नागौर के फिरोज खाँ को परास्त किया। उसके दरबार में कई शिल्पी और विद्वान आश्रय पाते थे जिनमें मना, फना, विसल जैसे शिल्पियों के नाम तथा ‘योगेश्वर’ और ‘भट्टविष्णु’ जैसे प्रकाण्ड विद्वानों के नाम विशेष उल्लेखनीय है।
राणा मोकल ने चित्तौड़ में विष्णु मंदिर (द्वारिकानाथ) का निर्माण करवाया। तथा परमार भोज द्वारा बनवाये गये त्रिभुवननारायण मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया। तभी इस मंदिर को ‘मोकल का मंदिर’/समिद्धेश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। उसने एकलिंगजी के मंदिर के चारों ओर परकोटा बनवाकर, उस मंदिर की सुरक्षा की समुचित व्यवस्था की।
महाराणा खेता की उपपत्नी के पुत्र, चाचा व मेरा ने अवसर पाकर 1433 ई. में झीलवाड़ा (भीलवाड़ा) में राणा मोकल की हत्या कर दी। इस हत्या को कराने के पक्ष में महपा पवार आदि कई सरदार भी सम्मिलित थे।
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राणा मोकल FAQ
Ans – महाराणा लाखा के देहान्त के समय मोकल लगभग 12 वर्ष का था.
Ans – मोकल की कम उम्र के समय राज-काज उसके भाई चुँडा ने संभाला था.
Ans – राणा मोकल की माँ का नाम हंसाबाई था.
Ans – मोकल ने 1428 ई. में रामपुरा (भीलवाड़ा) के युद्ध में नागौर के फिरोज खाँ को परास्त किया.
Ans – राणा मोकल ने चित्तौड़ में विष्णु मंदिर (द्वारिकानाथ) का निर्माण करवाया था.
Ans – राणा मोकल की हत्या 1433 ई. में झीलवाड़ा (भीलवाड़ा) में कर दी गई थी.
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