राणा सांगा के गुजरात से संघर्ष | गुजरात मेवाड़ संघर्ष का अध्याय जो महाराणा कुम्भा के समय से आरम्भ हुआ था उसकी समाप्ति भी नहीं होने पायी थी कि राणा सांगा ने फिर उसे आरम्भ कर दिया
राणा सांगा के गुजरात से संघर्ष
सांगा का गुजरात से संघर्ष : गुजरात मेवाड़ संघर्ष का अध्याय जो महाराणा कुम्भा के समय से आरम्भ हुआ था उसकी समाप्ति भी नहीं होने पायी थी कि राणा सांगा ने फिर उसे आरम्भ कर दिया। सांगा के समय गुजरात और मेवाड़ के बीच संघर्ष का तात्कालिक कारण ईडर का प्रश्न था।
ईडर के राव भाण के दो पुत्र सूर्यमल और भीम थे। राव भाण की मृत्यु के बाद सूर्यमल गद्दी पर बैठा किन्तु उसकी भी 18 माह बाद ही मृत्यु हो गई। अब सूर्यमल के स्थान पर उसका बेटा रायमल ईडर की गद्दी पर बैठा। रायमल के अल्पायु होने का लाभ उठाकर उसके चाचा भीम ने गद्दी पर अपना अधिकार कर लिया। रायमल ने मेवाड़ में शरण ली, जहाँ महाराणा सांगा ने अपनी पुत्री की सगाई उसके साथ कर दी।
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1515 ई. में रायमल ने महाराणा सांगा की सहायता भीम के पुत्र भारमल को हटाकर ईडर पर पुनः अधिकार कर लिया। जब गुजरात के सुल्तान मुजफ्फर ने यह सुना कि राणा सांगा ने भारमल को ईडर से निकालकर वहाँ का राज्य रायमल को सौंप दिया है तो उसने अहमदनगर के जागीरदार निजामुल्मुल्क को उसकी सहायता करने को कहा।
निजामुल्मुल्क ने ईडर पर अधिकार कर रायमल को वहां से भगा दिया तथा भारमल को ईडर का सिंहासन सौंपा। सांगा ने अहमदनगर के जागीरदार निजामुल्मुल्क को पदच्युत करने के लिए रायमल को एक बड़ी सेना देकर भेजा। निजामुल्मुल्क को ईडर छोड़कर भागना पड़ा। सुल्तान ने इस पराजय से क्षुब्ध होकर जहीरुल्मुल्क को ईडर के विरुद्ध भेजा, परन्तु उसे सफलता न मिली।
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जब तीसरी बार मुबारिज-उल-मुल्क को भेजा गया तो उसे ईडर पर अधिकार करने में सफलता मिली। इस स्थिति में 1520 ई. को स्वयं महाराणा को एक बड़ी सेना लेकर उधर प्रस्थान करना पड़ा। राजपूतों की विशाल सेना देखकर मुबारिज-उल-मुल्क भाग कर अहमदनगर के किले में जा छुपा। महाराणा ने अहमदनगर को जा घेरा। महाराणा की सेना बड़नगर को लूटती हुई चित्तौड़ लौट आयी।
महाराणा की इस विजय से गुजरात का सुल्तान मुजफ्फर बड़ा लज्जित हुआ। उसने 1520 ई. में मलिक अयाज और किंवामुल्मुल्क की अध्यक्षता में दो अलग-अलग सेनाएं मेवाड़ पर आक्रमण के लिए भेजी। राणा की सेना में सलहदी तँवर आसपास के राजपूतों के साथ आ मिला। मलिक अयाज ने युद्ध में पराजित होने की सम्भावना से राणा से सन्धि कर ली जिससे सुल्तान को भी लौटने के लिए विवश होना पड़ा।
राणा सांगा और मालवा का संबंध : महमूद द्वितीय के समय मालवा की स्थिति अच्छी थी। सुल्तान एक प्रबल राजपूत सरदार मेदिनीराय के हाथ में था, जिसे मुसलमान अमीर नहीं चाहते थे। अन्त में इन अमीरों ने गुजरात के सुल्तान की सहायता से मेदिनीराय को माण्डू से भगा दिया।
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राणा राणा सांगा के गुजरात से संघर्ष FAQ
Ans – सांगा के समय गुजरात और मेवाड़ के बीच संघर्ष का तात्कालिक कारण ईडर का प्रश्न था.
Ans – ईडर के राव भाण के दो पुत्र थे.
Ans – ईडर के राव भाण के पुत्रों का नाम सूर्यमल और भीम था.
Ans – सूर्यमल ने 18 माह तक ही शासन चलाया था.
Ans – सूर्यमाल का उत्तराधिकारी उसका पुत्र रायमल था.
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