राव जैतसी | जैतसी महाराजा लूणकरण का पुत्र था | वह अपने पिता के बाद बीकानेर का शासक बना था | वह बीकानेर का चौथा शासक था | जैतसी की मृत्यु 1541 ई. को हुई थी
राव जैतसी
सन् 1534 में बाबर के पुत्र कामरान ने भटनेर पर अधिकार कर लिया। इसके पश कामरान ने बीकानेर पर आक्रमण कर अधिकार करने का प्रयास किया परंतु राव जैतसी ने अक्टूबर, 1534 को एक सशक्त सेना एकत्रित कर कामरान पर आक्रमण कर दिया।
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अप्रत्याशित आक्रमण से मुगल सेना बीकानेर छोड़कर भाग खड़ी हुई और जैतसी को विजयश्री प्राप्त हुई। इस युद्ध का विस्तृत वर्णन बीटूं सूजा कृत ‘राव जैतसी रो छंद’ ग्रंथ में प्राप्त होता है।

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‘जैतसी रो पाधड़ी छन्द’, ‘जैतसी रासो’, ‘साख के गीतों’ आदि के रचयिताओं ने भी कामरान के बीकानेर पर आक्रमण और जैतसी द्वारा उसकी पराजय पर प्रकाश डाला है। इसी तरह इस युद्ध की पुष्टि बीकानेर के चिन्तामणि श्री चौबीसटाजी के जैन मन्दिर के मूलनायक की प्रतिमा के शिलालेख से भी होती है।
जब राणा सांगा एवं मुगल बाबर के मध्य 1527 ई. में खानवा का युद्ध हुआ तो जैतसी ने अपने पुत्र कुंवर कल्याणमल को ससैन्य सहायता देकर भेजा। सन् 1541 ई. में जोधपुर शासक राव मालदेव ने बीकानेर पर आक्रमण किया, जिसमें राव जैतसी की मृत्यु हो। गई और बीकानेर पर राव मालदेव का कब्जा हो गया।
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राव जैतसी FAQ
Ans – जैतसी महाराजा लूणकरण का पुत्र था.
Ans – जैतसी महाराजा लूणकरण के बाद बीकानेर का शासक बना था.
Ans – जैतसी की मृत्यु 1541 ई. को हुई थी.
Ans – जैतसी की मृत्यु जोधपुर के शासक मालदेव से युद्ध करते हहुए हुई थी.
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