राव लूणकर्ण | नरा का देहान्त 13 जनवरी, 1505 को हो गया। नरा के निःसन्तान होने से उसका छोटा भाई लूणकर्ण बीकानेर का स्वामी बना। राव लूणकर्ण अपने पिता की भाँति साहसी और वीर योद्धा था
राव लूणकर्ण
नरा का देहान्त 13 जनवरी, 1505 को हो गया। नरा के निःसन्तान होने से उसका छोटा भाई लूणकर्ण बीकानेर का स्वामी बना। राव लूणकर्ण अपने पिता की भाँति साहसी और वीर योद्धा था। उसकी शक्ति का लोहा रुद्रेवा, चायलवाड़ा आदि स्थानों के सरदार मानते थे जिनका उसने निजी भुजबल से दमन किया।
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वह बड़ा दानी था। जयसोम ने ‘कर्मचन्द्रवंशोत्कीर्तनकाव्यम्’ में उसकी दानशीलता की तुलना कर्ण से की है। इसी प्रकार बीठू सूजा ने अपने ‘जैतसी रो छन्द’ में उसे ‘कलियुग का कर्ण’ माना है। इसने ‘लूणकरणसर झील निर्माण करवाया। 1526 ई. में नारनौल के नवाब के साथ युद्ध में घौसा नामक स्थान पर लूणकर्ण की मृत्यु हो गयी।
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राव लूणकर्ण FAQ
Ans – नरा का देहान्त 13 जनवरी, 1505 ई. को हुआ था.
Ans – नरा के बाद बीकानेर का स्वामी लूणकर्ण बना था.
Ans – जयसोम ने ‘कर्मचन्द्रवंशोत्कीर्तनकाव्यम्’ में लूनकर्ण की दानशीलता की तुलना कर्ण से की है.
Ans – बीठू सूजा ने अपने ‘जैतसी रो छन्द’ में लूनकर्ण को ‘कलियुग का कर्ण’ माना है.
Ans – लूनकर्ण की मृत्यु 1526 ई. को हुई थी.
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