राव रतन हाड़ा | राव रतन का राज्याभिषेक 1607 ई. को किया गया था. राव रतन राव भोज का पुत्र था. वह भी अपने पिता की तरह सम्राट की कृपा का पात्र रहा था
राव रतन हाड़ा
राव रतन हाड़ा | राव रतन का राज्याभिषेक 1607 ई. को किया गया था. राव रतन राव भोज का पुत्र था. वह भी अपने पिता की तरह सम्राट की कृपा का पात्र रहा था | 1613 ई. को इन्हें शहजादा खुर्रम (शाहजहाँ) के साथ मेवाड़ के महाराणा अमर सिंह से युद्ध करने के लिए भेजा गया था.
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जहांगीर के शासनकाल में उसके 5000 मनसब का पद और सम्मान की वृद्धि हुई। उसे पांच हजारी मनसबदार बनाया गया और चित्रकला के लिए ‘सरबुन्दराय’ और न्यायप्रियता के लिए ‘रामराजा’ की उपाधियों से अलंकृत किया गया। केसरियां निशान और नक्कारे के चिह्नों से उसका सम्मान बढ़ाया गया।
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उसने बुरहानपुर में रहते हुए किले की रक्षा को और खुर्रम को, जो अपने पिता से विमुख हो गया था, परास्त किया। जहांगीर के काल में वह मुगल साम्राज्य का स्तम्भ था। इसके संबंध में एक न्यायप्रियता को कहानी भी प्रसिद्ध है कि उसने अपने लड़के गोपीनाथ की हत्या करने वाले ब्राह्मणों को दण्ड नहीं दिया, क्योंकि वह दुराचारी था और दुराचारी से तंग आकर ब्राह्मणों ने उसे मार दिया था।
राव रतन का देहांत 1631 ई. को बालाघाट (मध्य प्रदेश) में हुआ था. इनके तीन पुत्र थे जिनका नाम गोपीनाथ, मधुसिंह व हरिसिंह था.
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राव रतन हाड़ा FAQ
Ans – राव रतन के पिताजी का नाम राव भोज था.
Ans – राव रतन का राज्याभिषेक 2607 ई. क किया गया था.
Ans – राव रतन को चित्रकला के लिए ‘सरबुन्दराय’ की उपाधि से अलंकृत किया गया था.
Ans – राव रतन को न्यायप्रियता के लिए ‘रामराजा’ की उपाधि से अलंकृत किया गया था.
Ans – राव रतन का देहांत 1631 ई. को बालाघाट (मध्य प्रदेश) में हुआ था.
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