राव शत्रुशाल हाड़ा | यह राव रतन का पोता और गोपीनाथ का पुत्र था। इस पर शाहजहां की बड़ी कृपा थी। उसे बादशाह ने राव पद से विभूषित किया था
राव शत्रुशाल हाड़ा
यह राव रतन का पोता और गोपीनाथ का पुत्र था। इस पर शाहजहां की बड़ी कृपा थी। उसे बादशाह ने राव पद से विभूषित कर तीन हजार जात व दो हजार सवार का मनसब तथा बूंदी और खटकड़ परगने की जागीर देकर खानेजहां के साथ दक्षिण में भेजा।
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1632 ई. में दौलताबाद के किले को जीतने में तथा 1633 ई. में परेंद्र के घेरे में इसने अपनी वीरता का अच्छा परिचय दिया। बुरहानपुर और खानदेश के अभियानों में इसकी श्लाघनीय सेवाएं थी।
जब शाहजहां के पुत्रों में गृह युद्ध आरम्भ हुआ तो वह सामूगढ़ के युद्ध में शाही फौजों के साथ रहकर औरंगजेब से लड़ा था। जब दारा हाथी छोड़कर गायब हो गया तो शत्रुशाल ने हाथी पर सवार होकर युद्ध की प्रगति को बनाये रखा। इससे रण-स्थल में गोली लगने से 1658 ई. में वह अपने कई संबंधियों के साथ वीरगति को प्राप्त हुआ। राव छत्रशाल एक कलाप्रेमी शासक भी था उसने केशवरायपाटन (बूंदी) में ‘केशवराय का मंदिर बनवाया।
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राव शत्रुशाल हाड़ा FAQ
Ans – राव शत्रुशाल के पिताजी का नाम गोपीनाथ था.
Ans – राव शत्रुशाल के दादाजी का नाम राव रतन था.
Ans – राव शत्रुशाल ने दौलताबाद 1632 ई. में जीता था.
Ans – राव शत्रुशाल की मृत्यु 1658 ई. को हुई थी.
Ans – राव शत्रुशाल केशवरायपाटन (बूंदी) में ‘केशवराय का मंदिर बनवाया था.
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