राव सुर्जन हाड़ा | राव सुर्जन ने 1569 ई. में मुगल सम्राट अकबर की अधीनता स्वीकार कर ली थी | इनके पिताजी का नाम राव अर्जुन सिंह था. इनका राज्याभिषेक 1554 ई. को किया गया था
राव सुर्जन हाड़ा
वि.स. 1623 में बादशाह अकबर ने चित्तौड़गढ़ सर किया और वहां से लौटते समय रणथम्भौर पर घेरा डाला, उस समय राव सुर्जन रणथम्भौर के किले में विद्यमान था। भगवानदास कछवाहा द्वारा सन् 1569 में तजवीज कराकर रणथम्भौर का दुर्ग बादशाह को सुपुर्द किया और राव सुर्जन ने चुनार के साथ वाराणसी आदि चार परगने लेकर बादशाह की मातहती स्वीकार कर ली।
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रणथम्भौर का किला राव सुर्जन ने दिया। आमेर के राजकुमार मानसिंह कछावा ने दोनों के मध्य एक संधि करवाई। इसकी शर्तें इस प्रकार रखी गई ” रणथम्भौर के एवज में चुनार का किला और काशी क्षेत्र राव सुर्जन को दिए जाए। बूंदी के हाड़ा चौहानों के मान मर्यादा के विषय में खास शर्तें जोड़ी गई बूंदी राज्य को अपनी राजकुंवरी मुगल को देने की फर्ज नहीं रहेवे (डोला नहीं भेजा जाएगा। बूंदी शासकों से अपनी स्त्रियों को मीना बाजार (नीरोज) में भेजने को नहीं कहा जाएगा। ‘जजियावेरा’ न लिया जाए। सिंधु नहीं उतर कर जाना पड़े वैसी जगह न भेजा जाए। इसके अलावा जो-जो बाते हिंदू राजा अपमानित मानते हैं वैसी बाते व ऐसे करों से बूंदी मुक्त रहेगा।”

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राव सुर्जन ने यह शर्त भी मंजूर करवाई कि बूंदी नरेश शाही दरबार में हाजिर होवे तब अपने हथियार साथ रखकर बादशाह को मुलाकात लेवे और बूंदी के देवालयों को मुसलमान पवित्र रखे। बूंदी नरेश शाही पायतख्त में आवे तब लाल दरवाजे तक अपने डंके व नक्कारा निशान बजाते हुए साथ रखे।
1569 ई. में राव सुर्जन ने मुगल सम्राट अकबर की अधीनता स्वीकार कर ली थी, सर्वप्रथम उसे एक हजारी जात का पद देकर मनरूढ़ और गढ़ कटंगा की जागीर दी। वहां रहते हुए उसने वहां के आदिम निवासी-गोंडों का दमन किया। गॉड नरेश को दिल्ली लाया गया और अकबर के सम्मुख पेश किया गया। इस सेवा के उपलक्ष में सम्राट ने उसे रावराजा की उपाधि दी तथा 5000 का मनसब दिया। इसके अतिरिक्त बूंदी के निकट 26 परगने और बनारस के निकट 26 परगने देकर उसकी जागीर में वृद्धि की। बनारस में परगने प्राप्त होने पर वह वहीं रहने लगा और बूंदी का राज्य उसका ज्येष्ठ पुत्र दूदा संभालता था। बनारस में रहते हुए उसके अनुरोध पर चन्द्रशेखर कवि ने ‘सुर्जन चरित्र’ की रचना लगभग 1578 ई. के आसपास की। अन्त में 1585 ई. में काशी में हो उसकी मृत्यु हो गयी।
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राव सुर्जन हाड़ा FAQ
Ans – राव सुर्जन ने 1569 ई. में मुगल सम्राट अकबर की अधीनता स्वीकार कर ली थी.
Ans – राव सुर्जन के पिता का नाम राव अर्जुन सिंह था.
Ans – राव सुर्जन का राज्याभिषेक 1554 ई. को किया गया था.
Ans – राव सुर्जन की मृत्यु 1585 ई. को हुई थी.
Ans – राव सुर्जन की मृत्यु काशी में हुई थी.
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