राठौड़ राजवंश | मारवाड़ पर राठौड़ राजवंश का शासन रहा था जो की राजस्थान जके निर्माण तक चला था. राष्ट्रकूट का प्राकृत रूप ‘रट्टऊड’ है जिससे ‘राइउड’ या ‘राठौड़’ बनता है
राठौड़ राजवंश
राजस्थान का पश्चिमोत्तर भाग प्राचीन काल में मरु प्रदेश कहलाता था जो कालान्तर में मारवाड़ कहलाया। इसमें प्रशासनिक रूप से जोधपुर, बीकानेर, जालौर, बाड़मेर, नागौर, पाली, किशनगढ़ एवं आसपास का प्रदेश सम्मिलित था। यहाँ प्रारंभ में गुर्जर प्रतिहार वंश तत्पश्चात् राठौड़ वंश का शासन हुआ जो राजस्थान के निर्माण तक रहा। ‘राठौड़’ शब्द भाषा में एक राजपूत जाति के लिए प्रयुक्त हुआ है, जिसे संस्कृत में राष्ट्रकूट कहते हैं।
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राष्ट्रकूट का प्राकृत रूप ‘रट्टऊड’ है जिससे ‘राइउड’ या ‘राठौड़’ बनता है। अशोक के शिलालेखों में कुछ दक्षिण-जातियों के लिए ‘रिस्टिक’ ‘लटिक’ और ‘रटिक’ शब्दों का प्रयोग किया गया था। ये सभी शब्द ‘रट्ट’ शब्द के प्राकृत रूप हैं जो ‘राष्ट्रकूट’ शब्द से मेल खाते हैं। इसका तात्पर्य यह है कि राठौड़ शब्द ‘राष्ट्रकूट से सम्बन्धित है और उस जाति विशेष के लिए प्रयुक्त हुआ है जो दक्षिण में राष्ट्रकूट नाम से विख्यात थी।
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राठौड़ों की उत्पत्ति
राज रत्नाकर के अनुसार राठौड़ हिरण्यकश्यप की सन्तान थे। जोधपुर राज्य की ख्यात में इन्हें राजा विश्वतमान के पुत्र राजा वृहदबल की सन्तान बताया है। दयालदास री ख्यात में इन्हें सूर्यवंशी बताया है और इन्हें ब्राह्मण वंश में होने वाले मल्लराव की सन्तान माना है। राठौड़ वंश-महाकाव्य में राठौड़ों की उत्पति शिव के शीश पर स्थित चंद्रमा से बतायी गई है। कर्नल टॉड इन्हें सूर्यवंशी कुल से मानते हैं।
राजस्थान के राठौड़ों में हस्तिकुण्ड के राठौड़, धनोप के राठौड़, वागड़ के राठौड़ तथा जोधपुर और बीकानेर के राठौड़ विख्यात हैं। हस्तिकुण्ड, धनोप एवं बागड़ के राठौड़, दक्षिण के राठौड़ों के ही वंशज हो सकते हैं। जोधपुर के राठौड़ों की शाखा को लेकर दो मत प्रचलित हैं
- नैणसी के अनुसार मुहम्मद गौरी ने 1194 ई. में चन्दावर के युद्ध में कन्नौज के जयचन्द गहड़वाल को समाप्त कर दिया तब कुछ वर्षों बाद जयचन्द के पौत्र सीहा ने पाली के आसपास 13वीं सदी में मारवाड़ के राठौड़ वंश की स्थापना की। इस मत का समर्थन ‘जोधपुर राज्य की ख्यात’, ‘पृथ्वीराज रासो’, ‘कर्नल टॉड’ एवं ‘दयालदास री ख्यात’ करते हैं।
- दूसरे मत के अनुसार जोधपुर के राठौड़ बदायूं की शाखा से थे, न कि कन्नौज की शाखा से मत सबसे पहले डाक्टर हॉर्नली ने प्रतिपादित किया जिसका समर्थन डॉ. ओझा ने किया है। गौरीशंकर हीराचन्द ओझा के अनुसार कन्नौज के गहड़वाल एक अलग जाति है जो सूर्यवंशीय है और बदायूं के राठौड़ इसके विपरीत चन्द्रवंशीय है। संभवतः राजपूताना के वर्तमान राठौड़ बदायूं के राठौड़ों के वंशधर हैं।
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राठौड़ राजवंश FAQ
Ans – राजस्थान का पश्चिमोत्तर भाग प्राचीन काल में मरु प्रदेश कहलाता था.
Ans – मरू प्रदेश कालांतर में मारवाड़ कहलाया था.
Ans – राठौड़ शब्द को संस्कृत में राष्ट्रकूट कहते हैं.
Ans – राज रत्नाकर के अनुसार राठौड़ हिरण्यकश्यप की सन्तान थे.
Ans – कर्नल टॉड राठौड़ शासकों को सूर्यवंशी कुल से मानते हैं
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