रावल रतनसिंह | रावल समरसिंह की मृत्यु के बाद उसका पुत्र रतनसिंह 1302 ई. के लगभग चित्तौड़ की गद्दी पर बैठा। वह एक बहुत ही महान शासक साबित हुए थे
रावल रतनसिंह
रावल समरसिंह की मृत्यु के बाद उसका पुत्र रतनसिंह 1302 ई. के लगभग चित्तौड़ की गद्दी पर बैठा। रावल रतन सिंह के समय की सबसे प्रमुख घटना दिल्ली सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी का मेवाड़ आक्रमण एवं उसकी विजय है।
अलाउद्दीन खिलजी द्वारा मेवाड़ आक्रमण के कारण थे :-
- रावल रतन सिंह की परम सुन्दरी रानी पद्मिनी को प्राप्त करना (मलिक मुहम्मद जायसी पद्मावत ) ।
- चित्तौड़ का व्यापारिक एवं सामरिक महत्त्व।
- अलाउद्दीन का महत्त्वाकांक्षी एवं साम्राज्यवादी होना।
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चित्तौड़ का युद्ध (1303 ई.) : –
चित्तौड़ का युद्ध मेवाड़ के शासक रावल रतनसिंह (1302-03 ई.) एवं दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी (1296-1316 ई.) के मध्य 1303 ई. में हुआ था। चित्तौड़ दुर्ग का सामरिक, व्यापारिक एवं भौगोलिक महत्त्व था। यह एक सुदृढ़ दुर्ग था जो अपनी अभेद्यता के लिए विख्यात था।
मालवा, गुजरात तथा दक्षिण भारत जाने वाले मुख्य मार्ग चित्तौड़ से होकर गुजरते थे, अतः गुजरात व दक्षिण भारत पर प्रभुत्व स्थापित करने तथा यहाँ के व्यापार पर अधिकार करने के लिए चित्तौड़ विजय जरूरी थी। इसके अतिरिक्त मलिक मोहम्मद जायसी ने ‘पद्मावत’ में अलाउद्दीन के चित्तौड़ आक्रमण का कारण रावल रतनसिंह की सुन्दर पत्नी पद्मिनी को प्राप्त करने की लालसा बताया है। इतिहासकार दशरथ शर्मा ने भी इस कारण को मान्यता दी है।
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1303 ई. में अलाउद्दीन खिलजी ससैन्य चित्तौड़ आ पहुँचा। लम्बे समय तक घेरा डालकर रखने पर भी जब अलाउद्दीन को सफलता नहीं मिली तो उसने धोखे से रावल रतनसिंह को बन्दी बना लिया। जिसे गोरा-बादल एवं पद्मिनी ने मुक्त करवाया। अंत में रतनसिंह गोरा-बादल सहित लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुआ तथा पद्मिनी ने सोलह सौ स्त्रियों के साथ जौहर कर लिया।
घमासान युद्ध के बाद जिसमें तत्कालीन इतिहासकार अमीर खुसरो सम्मिलित था वह खजाईन-उल-फुतुह (तारीखे अलाई) में लिखता है कि 26 अगस्त, 1303 ई. को किला फतह हुआ और राय पहले भाग गया। रानी पद्मिनी 1600 स्त्रियों के साथ जौहर कर चुकी थी। सुल्तान ने 30,000 हिन्दुओं का कत्ल करने की आज्ञा दी थी।
फतह के बाद औपचारिक रूप से किला खिज्र खाँ को सुपुर्द किया गया और उसका नाम खिजाबाद रखा गया। आसपास के भवनों को तुड़वाकर किले पर पहुँचने के लिए गम्भीरी नदी पर, जो रास्ते में पड़ती थी, एक पुल बनवाया गया और पुल में शिलालेख भी चुनवा दिये गये जो मेवाड़ के इतिहास के लिए बड़े प्रामाणिक हैं।
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रावल रतनसिंह FAQ
Ans – रावल समरसिंह की मृत्यु के बाद उसका पुत्र रतनसिंह चित्तौड़ की गद्दी पर बैठा.
Ans – रतनसिंह 1302 ई. के लगभग चित्तौड़ की गद्दी पर बैठा था.
Ans – चित्तौड़ का युद्ध मध्य 1303 ई. में हुआ था.
Ans – 1303 ई. में अलाउद्दीन खिलजी ससैन्य चित्तौड़ आ पहुँचा था.
Ans – रानी पद्मिनी 1600 स्त्रियों के साथ जौहर किया था.
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