1857 की क्रांति की असफलता के कारण | Reasons for the failure of the revolt of 1857 | राजस्थान के राजाओं ने अंग्रेजों के प्रति अपनी झुकाने की प्रवृति का परिचय दिया
1857 की क्रांति की असफलता के कारण
राजस्थान के राजाओं ने अंग्रेजों के प्रति अपनी झुकाने की प्रवृति का परिचय दिया. जयपुर, अलवर, भरतपुर, धौलपुर, करौली, सिरोही, टोंक, बीकानेर, डूंगरपुर, बांसवाडा व प्रतापगढ़ के शासकों ने विप्लव की आंधी को रोकने के लिए ब्रिटिश सत्ता का सहयोग दिया था.
मुग़ल सम्राट बहादुरशाह तथा स्थानीय विद्रोहियों ने राजस्थान राजाओं को स्वतंत्रत़ा संग्राम का नेतृत्व प्रदान करने के लिए आमंत्रित किया, पर इसके बाद भी उन्होंने अंग्रेजों का साथ दिया था.

राजस्थान के विद्रोहियों में आपसी एकता व संपर्क का आभाव था. कोटा, नसीराबाद, भरतपुर धौलपुर व टोंक आदि में अलग-अलग समय पर क्रांति होने पर अंग्रेजों को विद्रोहियों से निपटने का अवसर मिल गया था.
यह भी देखे :- केसरीसिंह बारहठ | Kesari Singh Barath
- मारवाड़, मेवाड़ व जयपुर आदि के राजाओं ने तात्या टोपे को किसी प्रकार का सहयोग नहीं दिया.
- राजस्थान की 18 रियासतों में संगठन व एकता का आभाव था.
- नेतृत्व के लिए जब मेवाड़ के महाराणा से संपर्क किया, तो नेतृत्व प्रदान करने की बजाय उन्होंने शासकों के पत्र व्यव्हार संबंधी सारे कागजात ही ब्रिटिश अधिकारीयों को सौंप दिए थे.
- राजस्थान अनेक देशी रियासतों में बंटा हुआ था. इस कारण उसमें क्रान्तिकारियों का कोई केन्द्रीय संगठन नहीं था. उसमें नेतृत्व का भी सर्वथा आभाव था.
- क्रांतिकारियों के बीच में आपस में भी संपर्क नहीं रहा था. उनमें त्याग व बलिदान की भावना तो थी, किन्तु न तो उनमें अंग्रेजों जैसा रणकौशल था व न ही वे अंग्रेज सैनिकों के समान प्रशिक्षित थे. इसके अतरिक्त क्रांतिकारियों को धन, रसद व हथियारों की कमी का भी सामना करना पड़ा था.
- यह क्रांति 10 मई 1857 ई. को हुई थी.
यह भी देखे :- अर्जुनलाल सेठी | Arjunlal Sethi
अंग्रेजों ने अन्य क्षेत्रों में हुई क्रांति का दमन करते हुए जून 1858 ई. तक उत्तर भारत के अधिकांश भागों पर पुनः अपना आधिपत्य स्थापित कर लिया था. इस कारण उन्होंने राजस्थान में हुई क्रांति का दमन करने के लिए अपनी पूरी शक्ति लगा दी थी.
1857 की क्रांति की असफलता के कारण FAQ
Ans राजस्थान के राजाओं ने अंग्रेजों के प्रति अपनी झुकाने की प्रवृति का परिचय दिया था.
Ans जयपुर, अलवर, भरतपुर, धौलपुर, करौली, सिरोही, टोंक, बीकानेर, डूंगरपुर, बांसवाडा व प्रतापगढ़ के शासकों ने विप्लव की आंधी को रोकने के लिए ब्रिटिश सत्ता का सहयोग दिया था.
Ans मुग़ल सम्राट बहादुरशाह तथा स्थानीय विद्रोहियों ने राजस्थान राजाओं को स्वतंत्रत़ा संग्राम का नेतृत्व प्रदान करने के लिए आमंत्रित किया था.
Ans कोटा, नसीराबाद, भरतपुर धौलपुर व टोंक आदि में अलग-अलग समय पर क्रांति होने पर अंग्रेजों को विद्रोहियों से निपटने का अवसर मिल गया था.
Ans मारवाड़, मेवाड़ व जयपुर आदि के राजाओं ने तात्या टोपे को किसी प्रकार का सहयोग नहीं दिया था.
Ans राजस्थान में 18 रियासतें थी.
Ans राजस्थान की 18 रियासतों में संगठन व एकता का आभाव था.
Ans नेतृत्व के लिए जब मेवाड़ के महाराणा से संपर्क किया, तो नेतृत्व प्रदान करने की बजाय उन्होंने शासकों के पत्र व्यव्हार संबंधी सारे कागजात ही ब्रिटिश अधिकारीयों को सौंप दिए थे.
Ans राजस्थान अनेक देशी रियासतों में बंटा हुआ था, इस कारण उसमें क्रान्तिकारियों का कोई केन्द्रीय संगठन नहीं था.
Ans राजस्थान अनेक देशी रियासतों में बंटा हुआ था. इस कारण राजस्थान में क्रांति के नेतृत्व में आभाव था.
Ans क्रांतिकारियों को धन, रसद व हथियारों की कमी का सामना करना पड़ा था.
Ans अंग्रेजों ने अन्य क्षेत्रों में हुई क्रांति का दमन करते हुए जून 1858 ई. तक उत्तर भारत के अधिकांश भागों पर पुनः अपना आधिपत्य स्थापित कर लिया था.
Ans यह क्रांति 10 मई 1857 ई. को हुई थी.
आर्टिकल को पूरा पढ़ने के लिए आपका बहुत धन्यवाद.. यदि आपको हमारा यह आर्टिकल पसन्द आया तो इसे अपने मित्रों, रिश्तेदारों व अन्य लोगों के साथ शेयर करना मत भूलना ताकि वे भी इस आर्टिकल से संबंधित जानकारी को आसानी से समझ सके.
यह भी देखे :- प्रताप सिंह बारहठ | Pratap Singh Barath