सवाई माधोसिंह द्वितीय | सवाई रामसिंह के निःसंतान मर जाने से उनके गोद लिए हुए श्री माधोसिंह द्वितीय जयपुर के सिंहासन पर बैठे। इनके काल में जयपुर रियासत की सभी तरह से उन्नति हुई
सवाई माधोसिंह द्वितीय
सवाई रामसिंह के निःसंतान मर जाने से उनके गोद लिए हुए श्री माधोसिंह द्वितीय जयपुर के सिंहासन पर बैठे। इनके काल में जयपुर रियासत की सभी तरह से उन्नति हुई. ये 1902 ई. में ब्रिटिश सम्राट एडवर्ड सप्तम के राज्याभिषेक समारोह में शामिल होने इंग्लैण्ड गये। इन्होंने शुद्धता एवं पवित्रता का अत्यधिक ध्यान रखा।
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ये अपने साथ गंगा जल से भरे हुए चांदी के दो विशाल जार ले गये थे। जिसमें प्रत्येक का वजन 345-345 किग्रा. था तथा प्रत्येक की क्षमता 900 गेलन थी। इसी पानी से उनका खाना, नहाना, पीना आदि क्रियायें हुई। ये जार विश्व के सबसे बड़े जार हैं जो गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नामित हैं। ये दोनों जार सिटी पैलेस, जयपुर के दीवान-ए-खास में रखे हुए हैं। सवाई माधोसिंह ने जयपुर के सिटी पैलेस में मुबारक महल बनवाया जो हिन्दू, इस्लामिक तथा ईसाई शौलियों का खूबसूरत नमूना है। यह महल मेहमान नवाजी के लिये था।
वर्तमान में यह सिटी पैलेस म्यूजियम में परिवर्तित हो गया है। माधोसिंह ने नोहरगढ़ के दुर्ग में नौ पासवानों के नाम से एक ही आकार-प्रकार के नौ सुन्दर महल बनवाये। सवाई माधोसिंह बब्बर शेर के नाम से प्रसिद्ध था। जब पंडित मदनमोहन मालवीय जी जयपुर आये तो उनका भव्य स्वागत कर बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के लिए इन्होंने 5 लाख रुपये दिये थे। साथ ही महाराजा माधोसिंह ने महामना को यह आश्वासन दिया की आगे भी हिन्दू विश्वविद्यालय के लिए ऐसे ही सहायता दी जाती रहेगी। इस कार्य को महाराजा सवाई मानसिंह ने बखूबी निभाया। 1922 ई. में सवाई माधोसिंह द्वितीय की मृत्यु हो गई।
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सवाई माधोसिंह द्वितीय FAQ
Ans – सवाई रामसिंह के निःसंतान मर जाने से उनके गोद लिए हुए श्री माधोसिंह द्वितीय जयपुर के सिंहासन पर बैठ.
Ans – जयपुर के सिटी पैलेस में मुबारक महल माधोसिंह ने ने बनवाया था.
Ans – माधोसिंह द्वितीय बब्बर शेर के नाम से प्रसिद्ध था.
Ans – माधोसिंह द्वितीय की मृत्यु 1922 ई. में हुई थी.
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