शेरशाह सूरी | Sher Shah Suri | सूर साम्राज्य का संस्थापक अफगान वंशीय शेरशाह सूरी था. शेरशाह बिलग्राम युद्ध के बाद [1540 ई.] दिल्ली की गद्दी पर बैठा था
शेरशाह सूरी | Sher Shah Suri
इनके बचपन का नाम फरीद खां था. यह सूर वंश से सम्बंधित था. इनके पिता हसन खां जौनपुर राज्य के अंतर्गत सासाराम के जमींदार थे. फरीद ने के शेर को तलवार के एक ही वार से मार दिया था. उसकी इस बहादुरी से प्रसन्न होकर बिहार के अफगान शासक सुल्तान मुहम्मद बहार खां लोहानी ने ने उसे शेर खां की उपाधि प्रदान की थी.
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शेरशाह बिलग्राम युद्ध के बाद [1540 ई.] दिल्ली की गद्दी पर बैठा था. शेरशाह की मृत्यु कालिंजर के किले को जीतने के क्रम में 22 मई 1545 ई. को हो गई थी. मृत्यु के समय वह उक्का नाम का अग्नि अस्त्र चला रहा था. कालिंजर का शासक कीरत सिंह था.
हिन्द तथा ईरानी वास्तुकला के समन्वय का प्रथम उदहारण है, शेरशाह का मकबरा जिसे सासाराम में झील के मध्य ऊँचे टीले पर निर्मित किया गया था.

रोहतासगढ़ किला, किला-ए-कुहना नामक मस्जिद का निर्माण शेरशाह द्वारा करवाया गया था. शेरशाह का उतराधिकारी उसका पुत्र इस्लाम शाह था.
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शेरशाह ने भूमि के माप के लिए 32 अंक वाला सिकंदरी गज व सन की डंडी का प्रयोग किया जाता था. इसने 178 ग्रेन चांदी का रुपया व 380 ग्रेन तांबे के दाम चलवाया था.
शेरशाह ने रोहतासगढ़ के दुर्ग व कन्नौज के पर शेरसुर नामक नगर बसाया था. शेरशाह के समय पैदावार का लगभग 1\3 भाग सरकार लगान के रूप में वसूला करती थे. कबूलियत व पट्टा प्रथा की शुरुआत शेरशाह ने की थी.
शेरशाह ने 1541 ई. में पाटलिपुत्र को पटना नाम से पुनः स्थापित किया. इसने ग्रैंड ट्रक रोड की मरम्मत करवाई थी. डाक-प्रथा का शेरशाह द्वारा ही किया गया था. मलिक मुहम्मद जायसी शेरशाह के समकालीन थे.
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शेरशाह सूरी FAQ
Ans सूर साम्राज्य का संस्थापक अफगान वंशीय शेरशाह सूरी था.
Ans डॉ. के. आर. कानूनगो के अनुसार हरियाणा प्रान्त के नारनौल स्थान पर शेरशाह का जन्म हुआ था.
Ans डॉ. के. आर. कानूनगो के अनुसार 1486 ई. में शेरशाह का जन्म हुआ था.
Ans डॉ. के. आर. कानूनगो के अनुसार शेरशाह के पिता का नाम हसन था.
Ans परमात्मा शरण के अनुसार शेरशाह का जन्म वर्ष 1472 ई. में हुआ था.
Ans शेरशाह के बचपन का नम फरीद था.
Ans शेरशाह सूर वंश से सम्बंधित था.
Ans पिता हसन खां जौनपुर राज्य के अंतर्गत सासाराम के जमींदार थे.
Ans अफगान शासक सुल्तान मुहम्मद बहार खां लोहानी ने शेरशाह को शेर खां की उपाधि प्रदान की थी.
Ans शेरशाह बिलग्राम युद्ध के बाद के बाद दिल्ली की गद्दी पर बैठा था.
Ans बिलग्राम युद्ध 1540 ई. में हुआ था.
Ans शेरशाह की मृत्यु 22 मई 1545 ई. को हो गई थी.
Ans शेरशाह के मकबरे को सासाराम में झील के मध्य ऊँचे टीले पर निर्मित किया गया था.
Ans रोहतासगढ़ किला, किला-ए-कुहना नामक मस्जिद का निर्माण शेरशाह द्वारा करवाया गया था.
Ans शेरशाह का उतराधिकारी उसका पुत्र इस्लाम शाह था.
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