शिवाजी के उत्तराधिकारी part 2 | Shivaji’s successor | बाजीराव प्रथम की मृत्यु के बाद बालाजी बाजीराव 1740 ई. में पेशवा बने थे. 1750 ई. में संगोला की संधि के बाद पेशवा के हाथ में सारे अधिकार सुरक्षित हो गए थे
शिवाजी के उत्तराधिकारी part 2 | Shivaji’s successor
झलकी की संधि निजाम व बालाजी के मध्य युई थी. बालाजी बाजीराव को नानासाहब के नाम से भी जाना जाता था.
बालाजी बाजीराव के समय में ही पानीपत का तृतीय युद्ध [14 जनवरी 1761 ई.] हुआ था, जिसमें मराठों की पराजय हुई थी. इस हार को नहीं सहने के कारण बालाजी की मृत्यु 1761 ई. में हो गई थी.
माधवराय नारायण प्रथम 1761 ई. में नया पेशवा बना था. इसने मराठों की खोई हुई प्रतिष्ठा को पुनः प्राप्त करने प्रयास किया था. माधवराय ने ईस्ट इंडिया कंपनी की पेंशन पर रह रहे मुगल बादशाह शाह आलम 2 को पुनः दिल्ली की गद्दी पर बैठाया था. मुग़ल बादशाह अब मराठों का पेंशनभोगी बन गया था.
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पेशवा नारायण राव की हत्या उसके चाचा रघुनाथ राव के द्वारा कर दी गई थी. पेशवा माधवराव नारायण 2 की अल्पायु के कारण मराठा राज्य की देख-भाल बारहभाई नाम की 12 सदस्यों की एक परिषद् करती थी.
इस परिषद् के दो महत्वपूर्ण सदस्य थे :- महादजी सिंधिया व नाना फड़नबीस. नाना फड़नबीस का मूल नाम बालाजी जनार्दन भानु था. अंग्रेज जेम्स ग्रांट डफ ने इन्हें मराठों का मैकियावेली कहा था.

अंतिम पेशवा राघोवा का पुत्र बाजीराव 2 था, जो अंग्रेजों की सहयता से पेशवा बना था. मराठों के पतन में सर्वाधिक योगदान इसी का था. यह सहायक संधि स्वीकार करने वाला प्रथम मराठा सरदार था.
अंग्रेज मराठा संघर्ष के अंतर्गत होने वाली प्रमुख संधियाँ
- सूरत की संधि – 1775 ई.
- पुरंदर की संधि- 1776 ई.
- बड़गांव की संधि- 1779 ई.
- सालाबाई की संधि- 1782 ई.
- बसीन की संधि- 1802 ई.
- देवगांव की संधि- 1803 ई.
- सुर्जी अर्जुनगांव की संधि- 1803 ई.
- राजापुर घाट की संधि- 1804 ई.
- नागपुर की संधि- 1816 ई.
- ग्वालियर की संधि- 1817 ई.
- पूना की संधि- 1817 ई.
- मंदसौर की संधि- 1818 ई.
1776 ई. में पुरंदर की संधि हुई थी. इसके तहत कंपनी ने रघुनाथ राव के समर्थन को वापस ले लिया था.
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आंग्ला-मराठा युद्ध :-
- प्रथम आंग्ला-मराठा युद्ध :- प्रथम युद्ध 1782 ई. में सालिबाई की संधि के साथ ख़त्म हुआ था.
- द्वितीय आंग्ला-मराठा युद्ध :-1803-05 ई. में हुआ था. इसमें भोंसले ने अंग्रेजों को चुनौती दी थी. इसके फलस्वरूप 7 सितम्बर 1803 ई. को देवगांव की संधि हुई थी.
- तृतीय आंग्ला-मराठा युद्ध :- 1817-19 ई. में हुआ था. इस युद्ध के बाद मराठा शक्ति व पेशवा के वंशानुगत पद को समाप्त कर दिया गया था.
पेशवा बाजीराव द्वितीय ने कोरेगाँव व अष्टि के युद्ध में हरने के बाद फरवरी 1818 ई. में मेल्कम के सम्मुख आत्मसमपर्ण कर दिया था. अंग्रेजों ने पेशवा के पद को समाप्त कर बाजीराव द्वितीय को पुणे से हटाकर कानपुर के निकट बिठुर में पेंशन पर जीने के लिए भेज दिया, जहाँ 1853 ई. में उसकी मृत्यु हो गई थी.
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शिवाजी के उत्तराधिकारी part 2 FAQ
Ans बाजीराव प्रथम की मृत्यु के बाद बालाजी बाजीराव पेशवा बने थे.
Ans बालाजी बाजीराव 1740 ई. में पेशवा बने थे.
Ans संगोला की संधि के बाद पेशवा के हाथ में सारे अधिकार सुरक्षित हो गए थे.
Ans 1750 ई. में संगोला की संधि हुई थी.
Ans झलकी की संधि निजाम व बालाजी के मध्य युई थी.
Ans बालाजी बाजीराव को नानासाहब के नाम से भी जाना जाता था..
Ans बालाजी बाजीराव के समय में ही पानीपत का तृतीय युद्ध हुआ था.
Ans पानीपत का तृतीय युद्ध 14 जनवरी 1761 ई. में हुआ था.
Ans पानीपत का तृतीय की हार को नहीं सहने के कारण बालाजी की मृत्यु हो गई थी.
Ans बालाजी की मृत्यु 1761 ई. में हुई थी.
Ans पेशवा नारायण राव की हत्या उसके चाचा रघुनाथ राव के द्वारा कर दी गई थी.
Ans पेशवा माधवराव नारायण 2 की अल्पायु के कारण मराठा राज्य की देख-भाल बारहभाई सभा नाम की 12 सदस्यों की एक परिषद करती थी.
Ans बारहभाई सभा के दो महत्वपूर्ण सदस्य थे :- महादजी सिंधिया व नाना फड़नबीस.
Ans नाना फड़नबीस का मूल नाम बालाजी जनार्दन भानु था.
Ans अंतिम पेशवा राघोवा का पुत्र बाजीराव 2 था.
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