सिरोही की स्थापना | शिवमान के पुत्र सहसामल ने शिवपुरी से दो मील आगे 1425 ई. में नया नगर बसाया जिसे आजकल सिरोही के नाम से जाना जाता है
सिरोही की स्थापना
चन्द्रावती अब लगातार मुस्लिम आक्रमण के कारण राजधानी के लिए उपयुक्त नहीं रही। देवड़ा राजा रायमल के पुत्र शिवमान ने सरणवा पहाड़ों पर एक दुर्ग की स्थापना की और 1405 ई. में शिवपुरी नगर बसाया। उसके पुत्र सहसामल ने शिवपुरी से दो मील आगे 1425 ई. में नया नगर बसाया जिसे आजकल सिरोही के नाम से जाना जाता है। पुरानी सिरोही को राजधानी न रखने का कारण अहमदशाह गुजराती के आक्रमणों का भय भी हो सकता है।
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सहसामल बड़ा महत्त्वाकांक्षी शासक था। उसने सोलंकी राजपूतों के राज्य में से कुछ भाग लेकर अपने राज्य में मिला लिया। जब महाराणा कुंभा को इसकी सूचना मिली तो उसने शीघ्र डोढ़िया नरसिंह की अध्यक्षता में एक सेना भेजी जिसने आबू, बसन्तगढ़ और भूड़ तथा सिरोही के पूर्वी भाग को अपने राज्य में मिला लिया। अपनी विजय के उपलक्ष में राणा ने वहाँ अचलगढ़ दुर्ग, कुम्भास्वामी का मन्दिर, एक ताल और राजप्रासाद का निर्माण करवाया।

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1451 ई. में जब लाखा सिरोही का स्वामी बना तो उसने अपना मुख्य उद्देश्य आबू पुनः प्राप्त करने का बनाया। कुम्भा की मृत्यु के उपरान्त लाखा ने आबू भी ले लिया। उसने पावागढ़ से लाकर कालिका की मूर्ति सिरोही में स्थापित की और अपने नाम से लाखनाव तालाब का निर्माण करवाया।
लाखा के बाद उसका ज्येष्ठ पुत्र जगमाल सिरोही के सिंहासन पर बैठा जगमाल में हम एक मध्यम श्रेणी के शासक का व्यक्तित्व पाते हैं जो अवसर से लाभ उठाकर उन्नति करना चाहता था। सन् 1823 में यहाँ के शासक शिवसिंह ने ईस्ट इंडिया कम्पनी से संधि कर ली। स्वतंत्रता के बाद जनवरी, 1950 सिरोही राज्य राजस्थान में मिला दिया गया।
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सिरोही की स्थापना FAQ
Ans – देवड़ा राजा रायमल के पुत्र शिवमान ने सरणवा पहाड़ों पर 1405 ई. में शिवपुरी नगर बसाया था.
Ans – सिरोही 1425 ई. को बसाया गया था.
Ans – सिरोही स्थापना शिवमं के पुत्र सह्सामल ने की थी.
Ans – सिरोही स्थापना शिवपुरी नगर से दो मील आगे की गई थी.
Ans – स्वतंत्रता के बाद 1950 ई. को सिरोही को राजस्थान में मिला दिया गया था.
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