गुलाम वंश | slave dynasty | गुलाम वंश की स्थापना 1206 ई. में कुतुबद्दीन ऐबक ने की थी. यह गौरी का गुलाम था. गुलामों को फारसी में बंदगो कहा जाता था तथा इन्हें सैनिक सेवा के लिए ख़रीदा जाता था.
गुलाम वंश | slave dynasty
कुतुबद्दीन ऐबक ने अपना राज्याभिषेक 24 जून 1206 ई. में किया था. कुतुबमीनार की नींव कुतुबद्दीन ऐबक ने डाली थी. कुतुबद्दीन ऐबक ऐबक के समय में कुतुबमीनार की केवल पहली मंजिल ही बन सकी थी. इल्तुतमिश ने इसे 225 फीट ऊँची चार मंजिल का बनाया था.
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फिरोजशाह तुगलक के समय बिजली गिरने के कारण कुतुबमीनार की चौथी. नष्ट हो गई थी जिसके कारण फिरोज ने इसमें दो छोटी मंजिले बना दी जिससे इसमें 5 मंजिल हो गई व 9 फीट ऊंचाई बढ़कर 234 फीट हो गई थी.
दिल्ली का कुवत-उल-इस्लाम मस्जिद व अजमेर की अढाई दिन का झोपड़ा नामक मस्जिद का निर्माण कुतुबद्दीन ऐबक ने करवाया था. कुतुबद्दीन ऐबक को लाख बख्श [लाखों का दान देने वाला] भी कहा जाता था. प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय को ध्वस्त करने वाला कुतुबद्दीन ऐबक का सहायक सेनानायक बख्तियार खिलजी था.
कुतुबद्दीन ऐबक की मृत्यु 1210 ई. में चौगान खेलते समय घोड़े से गिरने के कारण हो गई थी. इसे लाहौर में दफनाया गया था. कुतुबद्दीन ऐबक का उतराधिकारी आरामशाह हुआ था, जिसने सिर्फ आठ महीनों तक शासन किया था.
आरामशाह की हत्या करके इल्तुतमिश 1211 ई. में दिल्ली की गद्दी पर बैठा था. इल्तुतमिश तुर्किस्तान का इल्बरी तुर्क था, जो ऐबक का गुलाम व दामाद था. ऐबक की मृत्यु के समय यह बुन्दायूं का गर्वनर था.
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इल्तुतमिश लाहौर से राजधानी स्थानांतरित करके दिल्ली लाया था. इसने हौज-ए-सुल्तानी का निर्माण देहली-ए-कुहना के निकट करवाया था. इल्तुतमिश पहला शासक था, जिसने 1229 ई. में बगदाद के खलीफा से सुल्तान पद की वैधानिक स्वीकृति प्राप्त की थी.
इल्तुतमिश के महत्वपूर्ण कार्य
- कुतुबमीनार के निर्माण को पूरा करवाया था.
- सबसे पहले अरबी सिक्के जारी किए. [चांदी का टंका व तांबे का जीतल]
- इक्ता प्रणाली चलाई.
- चालीस गुलाम सरदारों का संगठन बनाया, जो तुर्क-ए-चिहलगानी के नाम से जाना गया था.
- सर्वप्रथम दिल्ली के अमीरों का दमन किया.
इल्तुतमिश की मृत्यु अप्रैल 1236 ई. में हो गई थी. चंगेज खां से बचने क लिए ख्वारिज्म के सम्राट जलालुद्दीन को इल्तुतमिश ने अपने यहाँ शरण नहीं दी थी.
मंगोल :- यह चीन के उत्तर में गोबी रेगिस्तान के निवासी थे. यह घूमने-फिरने वाली अर्द्धसभ्य जाति थी तथा उनका मुख्य पेशा घोड़ों तथा अन्य पशुओं का पालन करना था. वे बहुत गंदे रहते थे तथा सभी प्रकार के मांस खाते थे. उनमें स्त्री विषयक नैतिकता का सर्वथा आभाव था यद्यपि माँ का सम्मान करते थे. वे विभिन्न कबीलों में बंटे थे, उन्हीं कबीलों में से एक में 1163 ई. में तेमूचिन उर्फ़ चंगेज खां का जन्म हुआ तथा, जिसे महान व श्रापित दोनों पुकारा गया है. इसका पिता येसुगाई बहादुर था.
इल्तुतमिश के बाद उसका पुत्र रुकनुद्दीन फिरोज गद्दी पर बैठ था, यह एक अयोग्य शासक था. इसके अल्पकालीन शासन पर उसकी माँ शाह तुरकान छाई रही थी. शाह तुरकान के अवांछित प्रभाव से परेशान होकर तुर्की अमीरों ने रुकनुद्दीन को गद्दे से हटा कर रजिया को गद्दी पर आसीन किया. इस प्रकार रजिया बेगम प्रथम मुस्लिम महिला थी, जिसने शासन की बागडोर संभाली थी.
रजिया ने पर्दाप्रथा को त्यागकर तथा पुरुषों की तरह चोगा [काबा] व कुलाह [टोपी] पहनकर राजदरबार में खुले मुहं जाने लगी. रजिया ने मलिक जमालुद्दीन याकूत को अमीर-ए-अखूर [घोड़े का सरदार] नियुक्त किया था.
गैर तुर्कों को सामंत बनाने के रजिया के प्रयासों से तुर्की अमीर विरुद्ध हो गए तथा उसे बंदी बनाकर दिल्ली की गद्दी पर मुइजुद्दीन बहरामशाह को बिठा दिया.
रजिया की शादी अल्तुनिया के साथ हुई थी. इससे विवाह करने के बाद रजिया ने पुनः गद्दी प्राप्त करने का प्रयास किया किन्तु वह असफल रही. रजिया की हत्या 13 अक्टूबर 1240 ई. को डाकुओं द्वारा कैथल के पास कर दी गई थी.
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बहराम शाह को बंदी बनाकर उसकी हत्या मई 1242 ई. में कर दी गई थी. उसके बाद दिल्ली का सुल्तान अलाउद्दीन मसूद शाह बना था. बलबन ने षड्यंत्र से 1246 ई. में अलाउद्दीन मसूद शाह को सुल्तान के पद से हटा कर नासिरुद्दीन मुहम्मद को सुल्तान बना दिया था.
नासिरुद्दीन मुहम्मद एक ऐसा सुल्तान था जो टोपी सीकर अपना जीवन निर्वाह करता था. बलबन ने अपनी पुत्री का विवाह नासिरुद्दीन मुहम्मद के साथ किया था. बलबन का वास्तविक नाम बहाउद्दीन था. यह इल्तुतमिश का गुलाम था. तुर्कान-ए-चिहलगानी का विनाश बलबन ने किया था.
बलबन 1266 ई. में गियासुद्दीन बलबन के नाम से दिल्ली की गद्दी पर बैठा था. यह मंगोलों के आक्रमण से दिल्ली की रक्षा करने में सफल रहा था. सीरी नामक न्य नगर बलबन ने बसाया था. राजदरबार में सिजदा व पैबौस प्रथा की शुरुआत बलबन ने की थी.
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बलबन ने फारसी रीती-रिवाज पर आधारित नवरोज उत्सव को प्रारंभ करवाया था. [फारसी साल का पहला दिन]. अपने विरोधियों के प्रति बलबन ने कठोर “लौह व् रक्त” निति का पालन किया था.
नासिरुद्दीन मुहम्मद ने बलबन को उलुग खां की उपाधि प्रदान की थी. बलबन आखेट अभियान के बहाने अपनी सेना को लम्बी दूरी तक कवायद कराकर दुरुस्त रखता था. बलबन के दरबार में फारसी के प्रसिद्द कवि अमीर खुसरो व् अमीर हसन रहते थे. गुलाम वंश का अंतिम शासक श्म्मुद्दीन कैमुर्स था.
गुलाम वंश FAQ
Ans गुलाम वंश की स्थापना कुतुबद्दीन ऐबक ने की थी.
Ans गुलाम वंश की स्थापना 1206 ई. में हुई थी.
Ans कुतुबद्दीन ऐबक, गौरी का गुलाम था.
Ans गुलामों को फारसी में बंदगो कहा जाता था.
Ans कुतुबद्दीन ऐबक ने अपना राज्याभिषेक 24 जून 1206 ई. में किया था.
Ans कुतुबमीनार की नींव कुतुबद्दीन ऐबक ने डाली थी.
Ans कुतुबद्दीन ऐबक ऐबक के समय में कुतुबमीनार की केवल पहली मंजिल ही बन सकी थी.
Ans इल्तुतमिश ने कुतुबमीनार को 225 फीट ऊँचा बनाया था.
Ans इल्तुतमिश ने कुतुबमीनार को चार मंजिल बनाया था.
Ans दिल्ली का कुवत-उल-इस्लाम मस्जिद व अजमेर की अढाई दिन का झोपड़ा नामक मस्जिद का निर्माण कुतुबद्दीन ऐबक ने करवाया था.
Ans कुतुबद्दीन ऐबक को लाख बख्श [लाखों का दान देने वाला] भी कहा जाता था.
Ans प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय को ध्वस्त करने वाला कुतुबद्दीन ऐबक का सहायक सेनानायक बख्तियार खिलजी था.
Ans कुतुबद्दीन ऐबक की मृत्यु 1210 ई. में हुई थी.
Ans कुतुबद्दीन ऐबक का उतराधिकारी आरामशाह था.
Ans इल्तुतमिश की मृत्यु अप्रैल 1236 ई. में हुई थी.
Ans प्रथम मुस्लिम बेगम रजिया थी.
Ans शाह तुरकान के अवांछित प्रभाव से परेशान होकर तुर्की अमीरों ने रुकनुद्दीन को गद्दे से हटा कर रजिया को गद्दी पर आसीन किया था.
Ans रजिया ने मलिक जमालुद्दीन याकूत को अमीर-ए-अखूर [घोड़े का सरदार] नियुक्त किया था.
Ans गैर तुर्कों को सामंत बनाने के रजिया के प्रयासों से तुर्की अमीर विरुद्ध हो गए.
Ans रजिया को बंदी बनाकर दिल्ली की गद्दी पर मुइजुद्दीन बहरामशाह को बिठा दिया गया था.
Ans रजिया की शादी अल्तुनिया के साथ हुई थी.
Ans रजिया की हत्या 13 अक्टूबर 1240 ई. को कर दी गई थी.
Ans रजिया की हत्या कैथल के निकट कर दी गई थी.
Ans रजिया की हत्या डाकुओं ने की थी.
Ans बहराम शाह को बंदी बनाकर उसकी हत्या मई 1242 ई. में कर दी गई थी.
Ans बहराम शाह के बाद दिल्ली का सुल्तान अलाउद्दीन मसूद शाह बना था.
Ans बलबन ने षड्यंत्र से अलाउद्दीन मसूद शाह को सुल्तान के पद से हटाया था.
Ans अलाउद्दीन मसूद शाह के बाद दिल्ली का सुल्तान नासिरुद्दीन मुहम्मद था.
Ans राजदरबार में सिजदा व पैबौस प्रथा की शुरुआत बलबन ने की थी.
Ans गुलाम वंश का अंतिम शासक श्म्मुद्दीन कैमुर्स था.
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