केसरिया करने की प्रथा | राजपूत योद्धा पराजय की स्थिति में शत्रु पक्ष पर केसरिया साफा-वस्त्र धारण कर टूट पड़ते और अपनी मातृभूमि की रक्षार्थ शहीद हो जाते थे वह केसरिया करना कहलाता था
केसरिया करने की प्रथा
किसी राज्य पर कोई दुश्मन या विदेशी आक्रमण होता और युद्ध में हार निश्चित हो जाती थी तब राजा सेनापति सभी सैनिक केसरिया साफा (पगड़ी) सिर पर बाँध कर मरने मारने के निश्चय के साथ युद्ध में दुश्मन सेना पर टूट पड़ते थे कि या तो विजयी होकर लोटेंगे अन्यथा विजय की कामना हृदय में लिए अन्तिम दम तक शौर्यपूर्ण युद्ध करते हुए दुश्मन सेना का ज्यादा से ज्यादा नाश करेंगे।
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राजपूत योद्धा पराजय की स्थिति में शत्रु पक्ष पर केसरिया साफा-वस्त्र धारण कर टूट पड़ते और अपनी मातृभूमि की रक्षार्थ शहीद हो जाते थे वह केसरिया करना कहलाता था।
राजपूत योद्धा पराजय की स्थिति में पलायन करने या आत्म समपर्ण करने की बजाय केसरिया वस्त्र धारण कर दुर्ग के द्वार पर भूखे शेर की तरह शत्रुओं पर टूटकर उन्हें मारकर खुद भी वीरगति को प्राप्त करते थे.
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केसरिया करने की प्रथा FAQ
Ans – राजपूत योद्धा पराजय की स्थिति में शत्रु पक्ष पर केसरिया साफा-वस्त्र धारण कर टूट पड़ते और अपनी मातृभूमि की रक्षार्थ शहीद हो जाते थे वह केसरिया करना कहलाता था.
Ans – केसरिया किसी राज्य पर कोई दुश्मन या विदेशी आक्रमण होता और युद्ध में हार निश्चित हो जाती थी, तब धारण किया जाता था.
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