भारत की वैदिक सभ्यता part 2 | जीविकोपार्जन के लिए वेद वेदांग पढ़ने वाले अध्यापक को उपध्याय कहा जाता था. आर्यों का मुख्य पेय पदार्थ सोमरस था. यह वनस्पति से बनाया जाता था
भारत की वैदिक सभ्यता part 2
जीविकोपार्जन के लिए वेद वेदांग पढ़ने वाले अध्यापक को उपध्याय कहा जाता था. आर्यों का मुख्य पेय पदार्थ सोमरस था. यह वनस्पति से बनाया जाता था. आर्य मुख्यतः तीन प्रकार के वस्त्रों का उपयोग करते थे. जो निम्न थे :- वस्, अधिवास व उष्णीश . अंदर पहनने वाले कपडे को नीवि कहा जाता था.
भारतीय परमाणुवाद के जनक महर्षि कणाद को कहा गया है. पशुपालन व कृषि आर्यों का मुख्य व्यसाय था. गाय को न मारे जाने वाली श्रेणी में रखा गया था. गाय की हत्या करने वाले या उसको घायल करने वाले के लिए वेदों में मृत्युदंड व देश से निकाला देने की व्यस्था की गई थी.
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आर्यों का प्रिय पशु घोड़ा व प्रिय देवता इंद्रा थे. लोहे की खोज आर्यों के द्वारा की गई थी, जिसे श्याम अयस कहा जाता था. तांबे को लोहित अयस कहा जाता था. व्यापर के लिए दूर दूर तक जाने वाले को पाणीं कहा गया है.
लेन -देन में वस्तु विनिमय की प्रणाली प्रचलित थी. ऋण देकर ब्याज लेने वालों को वेकनोत कहा जाता था. मनुष्य व देवता के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभाने वाले देवता के रूप में अग्नि की पूजा की जाती थी. ऋग्वेद में उल्लेखित नदियों में से सरस्वती नदी को सबसे पवित्र नदी माना जाता है. ऋग्वेद में गंगा का एक बार व यमुना का तीन बार उल्लेख है . इसमें सिन्धु नदी का सर्वाधिक उल्लेख है.
उत्तर वैदिक काल में इंद्र के स्थान पर प्रजापति सर्वाधिक प्रिय देवता हो गए थे. विष्णु के तीन पगों की कलपना का विकास उत्तरवैदिक काल में हुआ था. उत्तरवैदिक काल में राजा के राज्याभिषेक के समय राजसूय यज्ञ का अनुष्ठान किया जाता था. उत्तरवैदिक काल में वर्ण व्यसाय की बजाय जन्म के आधार पर निर्धारित होने लगे थे.

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वैदिक सभ्यता
उत्तरवैदिक काल में हल को सिरा व हल रेखा को सीता कहा जाता था. उत्तरवैदिक काल में निष्क व शतमान मुद्रा की इकाइयाँ थी. सिक्कों के चलन का कोई प्रमाण नहीं मिला है. सांख्य दर्शन भारत में सबसे प्राचीन दर्शनों में से एक है. इसके अनुसार मूल तत्व 25 है, जिनमें प्रकृति सबसे पहला तत्व है.
सत्यमेव जयते को मुण्डक उपनिषद से लिया गया है. इसी उपनिषद में यज्ञ की तुलना फूटी नाव से की गई है. गायत्री मंत्र सवितृ नामक देवता से संबंधित है, जिसका संबंध ऋग्वेद से है. लोगों को आर्य बनाने के लिए विश्वामित्र ने गायत्री मंत्र की रचना की थी.
- श्राद्ध की प्रथा सर्वप्रथम शुरुआत दत्तात्रेय ऋषि के बेटे निमि ने की थी.
- उत्तर वैदिक काल में कौशाम्बी नगर में प्रथम बार पक्की ईटों का प्रयोग किया गया था.
- महाकाव्य दो है जो की निम्न है:- महाभारत व रामायण | महाभारत का पुराना नाम जयसहिंता है. यह विश्व का सबस बड़ा महाकाव्य है.
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भारत की वैदिक सभ्यता FAQ
Ans जीविकोपार्जन के लिए वेद वेदांग पढ़ने वाले अध्यापक को उपध्याय कहा जाता था.
Ans आर्यों का मुख्य पेय पदार्थ सोमरस था.
Ans सोमरस वनस्पति से बनाया जाता था.
Ans भारतीय परमाणुवाद के जनक महर्षि कणाद को कहा गया है.
Ans पशुपालन व कृषि आर्यों का मुख्य व्यसाय था.
Ans गाय की हत्या करने वाले या उसको घायल करने वाले के लिए वेदों में मृत्युदंड व देश से निकाला देने की व्यस्था की गई थी.
Ans आर्यों का प्रिय पशु घोड़ा व प्रिय देवता इंद्रा थे.
Ans लोहे की खोज आर्यों के द्वारा की गई थी.
Ans लेन -देन में वस्तु विनिमय की प्रणाली प्रचलित थी.
Ans विष्णु के तीन पगों की कलपना का विकास उत्तरवैदिक काल में हुआ था.
Ans सत्यमेव जयते को मुण्डक उपनिषद से लिया गया है.
Ans गायत्री मंत्र सवितृ नामक देवता से संबंधित है.
Ans महाभारत का पुराना नाम जयसहिंता है.
Ans महाभारत विश्व का सबस बड़ा महाकाव्य है.
Ans श्राद्ध की प्रथा सर्वप्रथम शुरुआत दत्तात्रेय ऋषि के बेटे निमि ने की थी.
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