विजयपाल : गुर्जर-प्रतिहार वंश | राजौर अभिलेख में इसे क्षितिजपालदेव का पुत्र बताया गया है. इससे अनुमान लगाया जा सकता है की यह महेन्द्रपाल द्वितीय का पुत्र व देवपाल का भाई था
विजयपाल : गुर्जर-प्रतिहार वंश
राजौर अभिलेख में इसे क्षितिजपालदेव का पुत्र बताया गया है. इससे अनुमान लगाया जा सकता है की यह महेन्द्रपाल द्वितीय का पुत्र व देवपाल का भाई था. इसके शासनकाल की तिथि उसी अभिलेख में 950 ई. में मिलती है.
जी. एच. ओझा का मत है की देवपाल की मृत्यु उसके सामंत गुहिल नरेश अल्लट के हाथों हुई थी. यदि यह सत्य है तो विजयपाल एक संकटपूर्ण स्थिति में शासक बना था. महेन्द्रपाल द्वितीय के बाद गुर्जर साम्राज्य की निरंतर अवनती होती रही थी. विजयपाल के समय तक गुर्जर साम्राज्य कई भागों में बंट गया था तथा प्रत्येक भाग में स्वतंत्र राजवंश शासन करने लगा था.
केन्द्रीय शासन की निर्बलता से लाभ उठाकर शाकम्भरी के चाहमान वंश के भी विद्रोह का झंडा कर दिया था. उस वंश के राजा विग्रहराज द्वितीय ने स्वतंत्र उपाधियाँ धारण करना प्रारंभ किया व अपनी शक्ति के विस्तार के लिए अपने पड़ौसी राज्यों के साथ छेड़ दिए. इसने मध्य राजपुताना में अपनी स्वतंत्रता घोषित कर दी थी.
यह भी देखे :- महेन्द्रपाल द्वितीय : गुर्जर-प्रतिहार वंश
परमार नरेश ने भी अपनी स्वतंत्रता की घोषण करते हुए परमभट्टारक महाराजाधिराज परमेश्वर की उपाधियाँ धारण की थी. 950 ई. के आस-पास चालुक्य नरेश मूलराज ने काठियावाड़ व गुजरात में अपना स्वतंत्र राज्य स्थापित कर दिया था.
गोहर्वा अभिलेख का कथन है की चेदी वंश के राजा लक्ष्मणराज देव ने गुर्जर प्रतिहार को पराजित किया था. संभवतः यह गुर्जर प्रतिहार वंशीय नरेश देवपाल रहा होगा. 942 ई. के परताबगढ़ अभिलेख से विदित होता है की गुहिल वंश का राजा भर्तृभट्ट द्वितीय प्रतिहारों का सामंत था परन्तु कुछ समय बाद ही ही इस वंश के शासकों ने भी प्रतिहारों के विरुद्ध अपनी स्वतंत्रता घोषित के दी थी.

इस प्रकार विजयपाल के शासन के आते-आते प्रतिहार वंश के अधीन अनेक सामंत वंश अपनी स्वतंत्रता घोषित कर चुके थे. इनके अलावा कन्नौज के गाहड़वाल, जेजाकभुक्ति के चंदेल, ग्वालियर के कच्छपघात, मध्यभारत के कलचुरीचेदी भी प्रमुख थे. संभवतः विजयपाल ने 984 ई. तक शासन किया था.
यह भी देखे :- मिहिर भोज प्रथम : गुर्जर-प्रतिहार वंश
विजयपाल FAQ
Ans राजौर अभिलेख में विजयपाल को क्षितिजपालदेव का पुत्र बताया गया है.
Ans विजयपाल 950 ई. मरण शासक बना था.
Ans जी. एच. ओझा का मत है की देवपाल की मृत्यु उसके सामंत गुहिल नरेश अल्लट के हाथों हुई थी.
Ans परमार नरेश ने अपनी स्वतंत्रता की घोषण करते हुए परमभट्टारक महाराजाधिराज परमेश्वर की उपाधियाँ धारण की थी.
Ans चालुक्य नरेश मूलराज ने काठियावाड़ व गुजरात में अपना स्वतंत्र राज्य स्थापित कर दिया था.
Ans 950 ई. के आस-पास चालुक्य नरेश मूलराज ने अपना स्वतंत्र राज्य स्थापित कर दिया था.
Ans गोहर्वा अभिलेख का कथन है की चेदी वंश के राजा लक्ष्मणराज देव ने गुर्जर प्रतिहार को पराजित किया था.
Ans परताबगढ़ अभिलेख से विदित होता है की गुहिल वंश का राजा भर्तृभट्ट ने अपना स्वतंत्र राज्य स्थपित किया था.
Ans कन्नौज के गाहड़वाल, जेजाकभुक्ति के चंदेल, ग्वालियर के कच्छपघात, मध्यभारत के कलचुरीचेदी के शासकों ने अपना स्वतंत्र राज्य स्थापित कर लिया था.
Ans विजयपाल ने 984 ई. तक शासन किया था.
आर्टिकल को पूरा पढ़ने के लिए आपका बहुत धन्यवाद. यदि आपको हमारा यह आर्टिकल पसन्द आया तो इसे अपने मित्रों, रिश्तेदारों व अन्य लोगों के साथ शेयर करना मत भूलना ताकि वे भी इस आर्टिकल से संबंधित जानकारी को आसानी से समझ सके.
यह भी देखे :- महेंद्रपाल प्रथम : गुर्जर-प्रतिहार वंश