सामवेद क्या है | What is samveda | प्राचीन भारत के पवित्र साहित्य वेद हैं जो हिन्दुओं का आधारभूत धर्मग्रन्थ भी हैं। विश्व के सबसे प्राचीन साहित्य वेद हैं
सामवेद क्या है
प्राचीन भारत के पवित्र साहित्य वेद हैं जो हिन्दुओं का आधारभूत धर्मग्रन्थ भी हैं। विश्व के सबसे प्राचीन साहित्य वेद हैं। भारतीय संस्कृति में वेद सबसे प्राचीन ग्रन्थ और सनातन धर्म का मूल हैं।
- साम का मतलब गान है. सामवेद में मुख्यता यज्ञ के समय पर गाये जाने ऋचाओं का संकलन है. सामवेद के पाठकर्ता को उद्रातृ कहा गया है. ऋग्वेद के आधार पर सामवेद का संकलन किया गया है.
- सामवेद में 1810 सूक्त है जो ऋग्वेद से लिए गए है.
- सामवेद को भारतीय संगीत का जनक भी कहा जाता है.यजुर्वेद व सामवेद में किसी भी विशिष्ट ऐतिहासिक घटना का वर्णन नहीं मिलता है.

सामवेद में गीत व संगीत की प्रधानता है. प्राचीनकाल के आर्यों के द्वारा साम को गाया जाता था. सामवेद अन्य तीनों वेदों के आकार की दृष्टि से सबसे छोटा वेद है. सामवेद के 1875 मन्त्रों में से 69 को छोड़ कर बाकि सभी मंत्र ऋगवेद के हैं. सामवेद में अथर्ववेद और यजुर्वेद के केवल 17 मन्त्र पाये जाते हैं। फ़िर भी सामवेद की प्रतिष्ठा सबसे अधिक है, जिसका कारण गीता में कृष्ण द्वारा ”वेदानां सामवेदोऽस्मि ” कहना भी है।
सामवेद दुसरे सभी वेदों से छोटा है किन्तु एक तरह से यह सभी वेदों का सार रूप है व सभी वेदों के चुने हुए अंश सामवेद में सम्मलित किये गये है. सामवेद में जो 1875 मन्त्र हैं, जिसमें से ऋग्वेद के 1504 मन्त्र इसमें सम्मलित किए गए है.
सामवेद के दो भाग है:-
- आर्चिक
- गान
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सामवेद का विवरण
- पुराणों में जो विवरण मिलता है उससे इसकी एक सहस्त्र शाखाओं के होने की जानकारी मिलती है.
- वर्तमान में प्रपंच ह्रदय, रणव्युहच, दिव्यावदान और जैमिनि गृहसूत्र को देखने पर सामवेद की 13 शाखाओं का पता चलता है
- सामवेद की इन तेरह शाखाओं में से तीन आचार्यों की शाखाएँ – (1) राणायनीय (2) कौमुथीरयी व (3) जैमिनीय मिलती हैं.
- सामवेद कला अध्य्यन करने वाले पंडित को पंचविश या उद्गाता कहते है.
- अनुशासन पर्व में भी सामवेद की महत्ता को दर्शाया गया है- सामवेदश्च वेदानां यजुषां शतरुद्रीयम्। अग्नि पुराण के आधार पर इस वेद के विभिन्न मंत्रों के विधिवत जप करने से रोग व्याधियों से मुक्त हो सकते है व रोग व्याधियों से बचाया जा सकता है, तथा कामनाओं की पूर्ति हो सकती है
सामवेद

यह कर्मयोग, ज्ञानयोग तथा भक्तियोग की त्रिवेणी है. ऋषियों ने विशिष्ट मंत्रों का संकलन करके सामवेद की गायन की पद्धति विकसित किया था. अधुनिक काल के विद्वान भी स्वीकार करने लगे हैं कि समस्त मन्त्र, स्वर, लय, ताल, छंद, गति, स्वर-चिकित्सा, राग नृत्य मुद्रा, मन्त्र, भाव आदि सामवेद से ही निकले हैं। छान्दोग्य उपनिषद में सामवेद को उदगीथों का रस कहा गया है.
जिस प्रकार से ऋग्वेद के मंत्रों ऋचा कहलाते हैं व यजुर्वेद के मंत्रों यजूँषि कहलाते हैं उसी प्रकार सामवेद के मंत्र सामानि कहलाते हैं. साम /सामानि का वर्णन ऋगवेद में 12 स्थानों पर आता है.
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सामवेद क्या है FAQ
Ans साम का मतलब गान है.
Ans सामवेद में मुख्यता यज्ञ के समय पर गाये जाने ऋचाओं का संकलन है.
Ans सामवेद में 1810 सूक्त है जो ऋग्वेद से लिए गए है.
Ans सामवेद को भारतीय संगीत का जनक भी कहा जाता है.
Ans सामवेद में गीत व संगीत की प्रधानता है.
Ans प्राचीनकाल के आर्यों के द्वारा साम को गाया जाता था.
Ans सामवेद में अथर्ववेद और यजुर्वेद के केवल 17 मन्त्र पाये जाते हैं.
Ans सामवेद में 1875 मन्त्र हैं.
Ans सामवेद में ऋग्वेद के 1504 मन्त्र सम्मलित किए गए है.
Ans सामवेद के दो भाग है.
Ans सामवेद के भाग आर्चिक व गान है.
Ans सामवेद का अध्य्यन करने वाले पंडित को पंचविश या उद्गाता कहते है.
Ans छान्दोग्य उपनिषद में सामवेद को उदगीथों का रस कहा गया है.
Ans सामवेद के मंत्र सामानि कहलाते हैं.
Ans साम /सामानि का वर्णन ऋगवेद में 12 स्थानों पर आता है.
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