शैव धर्म क्या है | What is Shaivism | भगवान शिव की पूजा करने वाले को शैव या शिव धर्म से संबधित धर्म को शैव धर्म कह जाता है. शिवलिंग उपासना का प्रारभिक पुरातात्विक साक्ष्य हड़प्पा संस्कृति के अवशेषों से मिलते है
शैव धर्म क्या है
भगवान शिव की पूजा करने वाले को शैव या शिव धर्म से संबधित धर्म को शैव धर्म कह जाता है. शिवलिंग उपासना का प्रारभिक पुरातात्विक साक्ष्य हड़प्पा संस्कृति के अवशेषों से मिलते है. ऋग्वेद में शिव के लिए रूद्र नामक देवता का उल्लेख है| अथर्ववेद में शिव को भाव, शर्व, पशुपति, व भूपति कह गया है. लिंग – पूजा का पहला स्पष्ट वर्णन मत्स्यपुराण में मिलता है. रूद्र की पत्नी के रूप में पार्वती का नाम तैतिरीय आरण्यक में मिलता है |
शिव की पत्नी का रूप सोम्य है. पार्वती, उमा, गौरी, व भैरवी. वामन पुराण में शैव संप्रदाय की संख्या चार बताई गई है. जो निम्न है:- पाशुपत कापालिक, कालामुख, लिगायत. पाशुपत संप्रदाय शेवो का सर्वाधिक प्राचीन सम्प्रदाय है. इसके संस्थापक लकुलीश थे. यह भगवान शिव के 18 अवतारों में से एक थे.
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”वामन पुराण” में शैव धर्म की संख्या ”चार” बताई गई है :- 1. पाशुपत 2. कापालिक 3. कालामुख 4. लिंगायत
- पाशुपत संप्रदाय के आनुयायियों को पंचार्थिक कहा जाता है. इस मत का प्रमुख सिद्धान्तिक ग्रन्थ पाशुपत सूत्र है. श्रीकर पंडित एक विख्यात पाशुपत आचार्य थे|
- कापालिक संप्रदाय के ईस्टदेव भैरव थे| कापालिक संप्रदाय का प्रमुख केंद्र श्री शैल नामक स्थान था.
- कालामुख संप्रदाय के अनुनायीयों को शिव पुराण में महाव्र्तधर कहा गया है. इस संप्रदाय के लोग नर कपाल में ही भोजन, जल तथा सुरापान करते है और साथ ही अपने शरीर पर चिता की भस्म मलते है.
- लिंगायत सप्रदाय दक्षिण में प्रचलित था. इन्हें जंगम भी कहा जाता था. इस संप्रदाय के लोग शिव की उपासना करते थे. शून्य संपादने लिंगायत का मुख्य धार्मिक ग्रन्थ था.
बसव पुराण में लिंगायत संप्रदाय के प्रवर्तक अल्लभ प्रभु तथ उनके शिष्य बासव को बताया गया है. इस संप्रदाय को वीरशिव संप्रदाय भी कहा जाता था.
बासव व उनका भतीजा चन्ना बासव कर्नाटक के कलचुरी राजाओं के दरबार में रहते थे. जैनों के साथ कथें संघर्ष के बाद उन्होंने अपने मत की स्थापना की थी. उन्होंने जाति प्रथा का कड़ा विरोध किया था, और उपवास व प्रतिभोज तीर्थयात्रा व बालि प्रथा को अस्वीकार किया. बाल विवाह का विरोध किया व विधवा विवाह का समर्थन किया था.
१०वी शताब्दी में मत्स्येन्द्रनाथ ने नाथ संप्रदाय की स्थापना की. इस संप्रदाय का व्यापक प्रचार-प्रसार बाबा गोरखनाथ के समय में हुआ था. गोरखनाथ ने वर्ण व्यवस्था तथा ब्राह्मणों के विशेषाधिकारों की आलोचना की थी. उनके द्वारा प्रतिपादन सिद्धांत को तंत्र कहा जाता था. इसकी सदस्यता बिना जाति भेद के सबके लिए खुली थी.
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दक्षिण भारत में शैवधर्म चालुक्य, राष्ट्रकूट, पल्लव व चोलों के समय लोकप्रिय रहा था. पल्लव काल में शैव धर्म का प्रचार- प्रसार नयनारों द्वारा किया गया था. नायनार संतों की संख्या 63 बताई गई है, जिनमें अप्पार, तिरुज्ञान, सम्बन्दर व सुन्दर मूर्ति आदि के नाम उल्लेखित है.

एलोरा के प्रसिद्ध कैलाश मंदिर का निर्माण राष्ट्रकूट शासकों द्वारा करवाया गया है. चोल शासक राजराज प्रथम ने तंजोर में प्रसिद्ध राजराजेश्वर शैव मंदिर का निर्माण करवाया था, जिसे बृहदीश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. कुषाण शासकों की मुद्राओं पर शिव व नंदी का एक साथ अंकन प्राप्त होता है.
पशुपतिनाथ मंदिर नेपाल की राजधानी काठमांडू के तीन KM उत्तर पश्चिम में बागवती नदी के किनारे देवपाटन गाँव में एक शिव मंदिर है. नेपाल के धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र बनाने से पहले यह मंदिर राष्ट्रिय देवता भगवन पशुपति नाथ का मुख्य निवास माना जाता था. इस मंदिर परिसर को सन 1979 में युनिस्कों विश्व सांस्कृतिक विरासत स्थल के रूप में सूचीबद्ध किया गया. मुख्य मंदिर का निर्माण नेपाल की पैगोडा शैली में हुआ है.
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शैव धर्म क्या है FAQ
Ans भगवान शिव की पूजा करने वाले को शैव या शिव धर्म से संबधित धर्म को शैव धर्म कह जाता है.
Ans अथर्ववेद में शिव को भाव, शर्व, पशुपति, व भूपति कह गया है.
Ans लिंग – पूजा का पहला स्पष्ट वर्णन मत्स्यपुराण में मिलता है.
Ans वामन पुराण में शैव संप्रदाय की संख्या चार बताई गई है.
Ans पाशुपत संप्रदाय शेवो का सर्वाधिक प्राचीन सम्प्रदाय है.
Ans पाशुपत संप्रदाय के संस्थापक लकुलीश थे.
Ans पाशुपत संप्रदाय के आनुयायियों को पंचार्थिक कहा जाता है.
Ans कापालिक संप्रदाय के ईस्टदेव भैरव थे.
Ans मत्स्येन्द्रनाथ ने नाथ संप्रदाय की स्थापना की थी.
Ans पल्लव काल में शैव धर्म का प्रचार- प्रसार नयनारों द्वारा किया गया था.
Ans नायनार संतों की संख्या 63 बताई गई है.
Ans एलोरा के प्रसिद्ध कैलाश मंदिर का निर्माण राष्ट्रकूट शासकों द्वारा करवाया गया है.
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