वैष्णव धर्म क्या है | What is Vaishnavism | वैष्णव धर्म के विषय में प्रारंभिक जानकारी उपनिषदों से मिलती है. इसका विकास भगवत धर्म से हुआ है. नारायण के पूजक मूलतः पंचरात्र कहे जाते है
वैष्णव धर्म क्या है
वैष्णव धर्म के विषय में प्रारंभिक जानकारी उपनिषदों से मिलती है. इसका विकास भगवत धर्म से हुआ है. नारायण के पूजक मूलतः पंचरात्र कहे जाते है.
वैष्णव धर्म के प्रवर्तक कृष्ण थे. जो वर्षं कबीले के थे और इनका निवास स्थान मथुरा था. कृष्ण का उल्लेख सर्वप्रथम छांदोग्य उपनिषद में देवकी पुत्र और आंगिरस के शिष्य के रूप में हुआ है. वासुदेव कृष्ण का सबसे प्रारंभिक आभिलेखीय उल्लेख बेसनगर स्तम्भ आभिलेख में पाया गया है.
विष्णु के 10 अवतारों का उल्लेख मत्स्यपुराण में मिलता है. 10 आवतार निम्न है:- मत्स्य, कूर्म, वराह, नृसिंह, वामन, परशुराम, रम, बलराम, बुद्ध, व कल्कि| गुप्तकाल में विष्णु के वराह आवतार आधिक प्रसिद्ध था.

वैष्णव धर्म में ईश्वर को प्राप्त करने के लिए सर्वाधिक महत्त्व भक्ति को दिया जाता है. भगवन विष्णु के सुदर्शन चक्र में छः तीलियाँ होती है.
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वैष्णव धर्म भगवान विष्णु व विष्णु के स्वरूपों को आराध्य मानने वाला सम्प्रदाय है। वैष्णव धर्म अन्तर्गत मूल रूप से चार संप्रदाय आते हैं। मान्यता अनुसार पौराणिक काल में विभिन्न देवी व देवताओं द्वारा वैष्णव महामंत्र दीक्षा परंपरा से इन संप्रदायों का प्रवर्तन हुआ है।
प्रमुख संप्रदाय, मत एवं आचार्य
प्रमुख संप्रदाय | मत | आचार्य |
वैष्णव संप्रदाय | विशिष्टाद्वैत | रामानुज |
ब्रह्म संप्रदाय | द्वैत | आनन्दतीर्थ |
रूद्र संप्रदाय | शुद्धाद्वैत | वल्लभाचार्य |
सनक संप्रदाय | द्वैताद्वैत | निम्बार्क |
प्रमुख संप्रदाय, संस्थापक एवं पुस्तक
प्रमुख संप्रदाय | संस्थापक | पुस्तक |
बरकरी | नामदेव | __ |
श्रीवैष्णव | रामानुज | ब्रह्मसूत्र |
परमार्थ | रामदेव | दासबोध |
रामभक्त | रामानन्द | अध्यात्म रामायण |
अंकोरवाट मंदिर का निर्माण कम्बोडिया [कंबोज] के राजा सुर्यवार्मा द्वितीय ने [1113 ई. से 1150 ई.] करवाया था. इस मंदिर में लगभग 10.5 फेट ऊँची भगवन विष्णु की मूर्ति है.
वर्तमान में सभी संप्रदाय अपने प्रमुख आचार्यो के नाम से जाने जाते हैं। यह सभी प्रमुख आचार्य दक्षिण भारत में जन्म ग्रहण लिया थे। जैसे:-
- श्री सम्प्रदाय जिसकी आद्य प्रवरर्तिका भगवान विष्णु पत्नी महालक्ष्मी देवी वैष्णव धर्म के प्रमुख आचार्य रामानुजाचार्य थे| वर्तमान में रामानुजसम्प्रदाय, रामानुजाचार्य के नाम से जाना जाता है।
- चतुरानन ब्रह्मादेव और प्रमुख आचार्य माधवाचार्य ब्रह्म सम्प्रदाय के आद्य प्रवर्तक हुए, जो सम्प्रदाय वर्तमान में माध्वसम्प्रदाय के नाम से जाना जाता है।
- देवादिदेव महादेव और प्रमुख आचार्य वल्लभाचार्य रुद्र सम्प्रदाय जिसके आद्य प्रवर्तक हुए, यह सम्प्रदाय वर्तमान में वल्लभसम्प्रदाय के नाम से जाना जाता है।
- सनतकुमार गण और प्रमुख आचार्य निम्बार्काचार्य कुमार संप्रदाय जिसके आद्य प्रवर्तक हुए, यह संप्रदाय वर्तमान में निम्बार्कसम्प्रदाय के नाम से जाना जाता है।
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वैष्णव धर्म
इनके अलावा मध्यकालीन उत्तर भारत में ब्रह्म संप्रदाय के अंतर्गत आचार्य श्रीमन्महाप्रभु चैतन्यदेव ब्रह्ममाध्वगौड़ेश्वर संप्रदाय प्रवर्तक हुए व आचार्य श्रीरामानंदाचार्य श्री रामानुज संप्रदाय के अंतर्गत रामानंदी संप्रदाय के प्रवर्तक हुए।
सर्व धर्म समभाव की भावना को बल देते हुए रामान्दाचार्य जी ने कबीर, रहीम व सभी वर्णों के व्यक्तियों को भक्ति का उपदेश किया। आगे रामानन्द संम्प्रदाय में गोस्वामी तुलसीदास हुए जिन्होने जनसामान्य तक भगवत महिमा को पहुँचाने के लिए श्री रामचरितमानस की रचना की थी. गीतावली, दोहावली, विनय पत्रिकान, बरवै रामायण व ज्योतिष ग्रन्थ रामाज्ञा प्रश्नावली तुलसीदास की अन्य रचनाएँ थी।
भक्ति के लिए सभी वर्ण और जाति के लिए मध्यकालीन वैष्णव आचार्यों ने मार्ग खोला, परंतु रामानंदाचार्य वर्ण व्यवस्था के अनुरूप दो अलग अलग परंपरा चलायी गई. भक्ति का वैष्णव धर्म के अंदर प्रमुख स्थान है। वैष्णव धर्म का दृष्टिकोण व्यापक व सार्वजनिक था गीता के अनुसार मोक्ष प्राप्ति के लिए सन्यास व तपस्या अनिवार्य नहीं है, मनुष्य गृहस्थी में रहते हुए भी मोक्ष प्राप्ति कर सकता है.
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वैष्णव धर्म क्या है FAQ
Ans वैष्णव धर्म के विषय में प्रारंभिक जानकारी उपनिषदों से मिलती है.
Ans नारायण के पूजक मूलतः पंचरात्र कहे जाते है.
Ans वैष्णव धर्म के प्रवर्तक कृष्ण थे.
Ans वासुदेव कृष्ण का सबसे प्रारंभिक आभिलेखीय उल्लेख बेसनगर स्तम्भ आभिलेख में पाया गया है.
Ans विष्णु के 10 अवतारों का उल्लेख मत्स्यपुराण में मिलता है.
Ans वैष्णव धर्म में ईश्वर को प्राप्त करने के लिए सर्वाधिक महत्त्व भक्ति को दिया जाता है.
Ans भगवन विष्णु के सुदर्शन चक्र में छः तीलियाँ होती है.
Ans वैष्णव धर्म अन्तर्गत मूल रूप से चार संप्रदाय आते हैं.
Ans अंकोरवाट मंदिर का निर्माण कम्बोडिया [कंबोज] के राजा सुर्यवार्मा द्वितीय ने [1113 ई. से 1150 ई.] करवाया था.
Ans वर्तमान में सभी वैष्णव संप्रदाय अपने प्रमुख आचार्यो के नाम से जाने जाते हैं.
Ans वर्तमान में रामानुजसम्प्रदाय, रामानुजाचार्य के नाम से जाना जाता है.
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