यशपाल : गुर्जर-प्रतिहार वंश | इलाहाबाद जिले के कड़ा नामक स्थान पर 1036 ई. का एक लेख मिला है. इसमें महाराजाधिराज यशपाल व उसके दान का वर्णन है. यह संभव है की यह त्रिलोचनपाल का उत्तराधिकारी हो सकता है
यशपाल : गुर्जर-प्रतिहार वंश
इलाहाबाद जिले के कड़ा नामक स्थान पर 1036 ई. का एक लेख मिला है. इसमें महाराजाधिराज यशपाल व उसके दान का वर्णन है. यह संभव है की यह त्रिलोचनपाल का उत्तराधिकारी हो सकता है.
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यह निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता है की त्रिलोचनपाल के बाद प्रतिहार वंश का शासक कौन हुआ? इसके बाद किसी प्रतिहार नरेश का नाम नहीं ज्ञात होता है. अंत में 1093 ई. के आस-पास चंद्रदेव गाहड़वाल ने प्रतिहारों से कन्नौज को छीन कर उनका अस्तित्व समाप्त किया दिया था.
उत्तर भारत के इतिहास में गुर्जरों का शासन अत्यंत महत्वपूर्ण है. हर्षवर्धन की मृत्यु के बाद प्रतिहारों ने प्रथम बार उत्तरी भारत में एक विशाल साम्राज्य की स्थापना की तथा लगभग 150 वर्ष तक वे इस साम्राज्य के अधिष्ठाता रहे थे. मुस्लमान लेखक भी उनकी शक्ति व समृद्धि की प्रशंसा करते है. वे मातृभूमि के सजग प्रहरी थे तथा इस रूप में ही अपना प्रतिहार {द्वारपाल} नाम सार्थक कर दिया था.
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ग्वालियर प्रशस्ति का यह विवरण मात्र अतिरंजना नहीं लगता “म्लेच्छ आक्रमणकारियों” देश की स्वाधीनता व संस्कृति की रक्षा करने के लिए नागभट्ट प्रथम, नागभट्ट द्वितीय एवं मिहिरभोज नारायण, विष्णु, पुरुषौत्तम तथा आदिवाराह के अवतार के स्वरूप थे.
प्रसिद्द इतिहासकार बी.एन. पाठक अपने प्रथम ग्रन्थ उत्तर भारत का राजनैतिक इतिहास प्रतिहार शासक महेन्द्रपाल प्रथम को ही “भारत का अंतिम हिन्दू सम्राट” स्वीकारतें है.

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यशपाल FAQ
Ans इलाहाबाद जिले के कड़ा नामक स्थान पर 1036 ई. का एक लेख मिला है.
Ans इलाहाबाद जिले के कड़ा नामक स्थान पर मिले लेख में महाराजाधिराज यशपाल व उसके दान का वर्णन है.
Ans संभवतः यशपाल त्रिलोचनपाल का उत्तराधिकारी है.
Ans चंद्रदेव ने प्रतिहारों से कन्नौज को छीन लिया था.
Ans 1093 ई. के आस-पास प्रतिहारों से कन्नौज को छीन लिया गया था.
Ans चंद्रदेव गाहड़वाल वंश का शासक था.
Ans प्रतिहार शासकों ने 150 सालों तक उत्तरी भारत के एक बड़े हिस्से पर पर शासन किया था.
Ans वे मातृभूमि के सजग प्रहरी थे तथा इस रूप में ही अपना प्रतिहार {द्वारपाल} नाम सार्थक कर दिया था.
Ans प्रसिद्द इतिहासकार बी.एन. पाठक अपने प्रथम ग्रन्थ उत्तर भारत का राजनैतिक इतिहास प्रतिहार शासक महेन्द्रपाल प्रथम को ही “भारत का अंतिम हिन्दू सम्राट” स्वीकारतें है.
Ans हर्षवर्धन की मृत्यु के बाद प्रतिहारों ने प्रथम बार उत्तरी भारत में एक विशाल साम्राज्य की स्थापना की थी.
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