कछवाहा राजवंश | ऐसी मान्यता है कि कच्छवाहा रामचन्द्र के ज्येष्ठ पुत्र कुश के वंशधर थे। कुछ विद्वान कच्छपघट का विकृत रूप कच्छवाहा मानते हैं और इनका संबंध ग्वालियर, डुबकुंड और नरवर से स्थापित करते हैं
कछवाहा राजवंश
ऐसी मान्यता है कि कच्छवाहा रामचन्द्र के ज्येष्ठ पुत्र कुश के वंशधर थे। कुछ विद्वान कच्छपघट का विकृत रूप कच्छवाहा मानते हैं और इनका संबंध ग्वालियर, डुबकुंड और नरवर से स्थापित करते हैं। ‘कच्छपघन’ शब्द से बोलचाल में कच्छवाहा बना है।
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कुश की संतति होने के कारण कुशवाहा से कछवा बनना स्वाभाविक दिखायी देता है। कुछ विद्वान यह भी मानते हैं कि कच्छवाहिनी कुलदेवी से इस वंश को कच्छवाहा कहने लगे। सूर्यमल्ल मिश्रण के अनुसार किसी कूर्म नामक रघुवंशी शासक की संतान होने से ये कूर्मवंशीय कहलाने लगे और भाषा से उन्हें कच्छवाहा कहा जाने लगा, जो सूर्यवंशी क्षत्रिय हैं।
अयोध्या पर शासन करने के पश्चात् कुश के वंशज मुकुटपुर में रहे, तत्पश्चात् सोन नदी के समीपस्थ प्रदेश साकेत व रोहिताश पर अधिकार किया। उन्हीं के वंशज राजा नल ने 826 ई. के लगभग नश्वर/नरवर (ग्वालियर) की नींव डाली। नल के पुत्र ढोला राजा थे, जिनका विवाह पिंगल (जैसलमेर) के समीपस्थ प्रदेश नरेश की पुत्री मरवण से हुआ था जो ढोला मारू के नाम से प्रसिद्ध हैं, ऐसा कहा जाता है।
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कछवाहा राजवंश FAQ
Ans – कच्छवाहा रामचन्द्र के ज्येष्ठ पुत्र कुश के वंशधर थे.
Ans – विद्वान कच्छपघट का विकृत रूप कच्छवाहा मानते हैं.
Ans – ‘कच्छपघन’ शब्द से बोलचाल में कच्छवाहा बना है.
Ans – ग्वालियर की नींव राजा नल ने डाली थी.
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