राव चूँडा (चामुंडाराय) | यह राव सीहा के वंशज वीरमदेव का पुत्र था। राव चूँडा बड़ा प्रतापी शासक हुआ। इंदा परिहार ने मण्डौर को यवन-मुसलमानों से छीनकर राव चूँडा को दहेज में दे दिया था
राव चूँडा (चामुंडाराय)
चूँडा राव सीहा के वंशज वीरमदेव का पुत्र था। राव चूँडा बड़ा प्रतापी शासक हुआ। इंदा परिहार ने मण्डौर को यवन-मुसलमानों से छीनकर राव चूँडा को दहेज में दे दिया था। राव चूँडा ने ‘मण्डौर को राठौड़ों की राजधानी’ बनाया।
परिहारों के सहयोग से उसने सर्वप्रथम नागौर के सूबेदार जलालखां खोखर पर चढ़ाई कर दी। पठानों से नागौर लेने पर वह ‘राव’ की उपाधि से प्रसिद्ध हुआ। उसने अपने राज्य का विस्तार नाड़ौल, डीड़वाना, नागौर आदि क्षेत्रों तक कर लिया।
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अपने पड़ोसी विरोधियों को तथा तुर्कों को दबाने में चूंडा की शक्ति क्षीण हो चली। फल यह हुआ कि पूंगल के भाटियों ने मुल्तान के सेनानायक सलीम की सहायता प्राप्त की और नागौर पर चढ़ाई कर दी। जैसलमेर के भाटी तथा जांगलू के सांखला भी इनसे जा मिले। चूंडा रण में खेत रहा। यह घटना 15 मार्च, 1423 ई. को हुई।

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चूण्डा ने नागौर के पास चूण्डासर तालाब बनवाया। उसकी पत्नी चांद कंवर ने ‘चांद बावड़ी’ (जोधपुर) का निर्माण करवाया। चूण्डा ने अपनी पत्नी किशोर कंवरी के प्रभाव में आकर बड़े पुत्र रणमल के स्थान पर छोटे पुत्र कान्हा को अपना उत्तराधिकारी बनाया।
जोधपुर की ख्यात में उसके 14 पुत्र और एक पुत्री का वर्णन आया है। पुत्रों में रणमल, सत्ता, भीव, अरडकमल, पूना, वीजा, कान्हा, सहसमल आदि थे तथा पुत्री हंसाबाई थी, जिसका विवाह राणा लाखा के साथ किया गया।
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राव चूँडा (चामुंडाराय) FAQ
Ans – चूँडा राव सीहा के वंशज वीरमदेव का पुत्र था.
Ans – इंदा परिहार ने मण्डौर को यवन-मुसलमानों से छीनकर राव चूँडा को दहेज में दे दिया था.
Ans – राव चूँडा ने ‘मण्डौर को राठौड़ों की राजधानी’ बनाई थी.
Ans – पठानों से नागौर लेने पर चूंडा ‘राव’ की उपाधि से प्रसिद्ध हुआ था.
Ans –चूंडा की पत्नी चांद कंवर ने ‘चांद बावड़ी’ (जोधपुर) का निर्माण करवाया था.
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